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Karwa Chauth Ki Puja Kaise Kare: करवा चौथ की पूजा कैसे करते हैं?

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करवा चौथ व्रत की पूजन विधि(Worship method of Karva Chauth Vrat)

हिंदू सनातन पद्धति में करवा चौथ सुहागिनों का महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है। इस पर्व पर महिलाएं हाथों में मेहंदी रचाकर, चूड़ी पहन व सोलह श्रृंगार कर अपने पति की पूजा कर व्रत का पारायण करती हैं।
सुहागिन या पतिव्रता स्त्रियों के लिए करवा चौथ बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। यदि दो दिन की चंद्रोदय व्यापिनी हो या दोनों ही दिन, न हो तो ‘मातृविद्धा प्रशस्यते’ के अनुसार पूर्वविद्धा लेना चाहिए।

स्त्रियां इस व्रत को पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। यह व्रत अलग-अलग क्षेत्रों में वहां की प्रचलित मान्यताओं के अनुरूप रखा जाता है, लेकिन इन मान्यताओं में थोड़ा-बहुत अंतर होता है। सार तो सभी का एक होता है पति की दीर्घायु।

क्यों करते हैं ‘करवा चौथ’?(Why do ‘Karva Chauth’?)

हिंदू महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए करती हैं तथा साथ ही यह व्रत वह कन्याए भी करती हैं जिनका विवाह सुनिश्चित हुआ है या फिर वह विवाह के योग्य हैं। सुयोग्य पति की कामना में कुंवारी कन्याएं करवा चौथ का व्रत बड़े उत्साह व श्रद्धा से करती हैं।

यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं निर्जल व्रत का पालन करते हुए भगवान शंकर, माता पार्वती और चंद्रदेव से अपने लिए अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

करवा चौथ व्रत के नियम(Rules of Karva Chauth Vrat)

करवा चौथ वाले दिन सूर्योदय के साथ ही व्रत की शुरुआत हो जाती है और चंद्रोदय के साथ चंद्र दर्शन के पश्चात यह व्रत समाप्त होता है। महिलाएं सुबह से निर्जल व्रत करती हैं और चांद दर्शन और पूजा अर्चना के बाद अपने व्रत को खोलती हैं। इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर अपने शरीर को स्वच्छ करना चाहिए तथा साथ ही अपने घर की विधिवत साफ सफाई करनी चाहिए। इसके साथ ही शुद्ध शरीर और शुद्ध मन से करवा चौथ व्रत का संकल्प लेकर व्रत की शुरुआत करें।

महिलाओं के लिये ध्यान रखने योग्य बातें(Things to keep in mind for women)

उपवास रखने की यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिये तो सही है जो कि घर पर रहती हैं। जिनका दिन परिजनों के लाड़-प्यार के साथ खुशी-खुशी बीत जाता है, जो हाथ-पैरों में मेंहदी लगवाकर घर के कार्यों से छुट्टी करके आराम फरमा सकती हैं। लेकिन जो महिलाएं कामकाजी हैं और जिन्हें अपने दफ्तर जाकर ढ़ेर सारा कार्य करना होता है उनके लिये करवा चौथ का व्रत रखना बहुत मुश्किल हो सकता है।

चैत्र पूर्णिमा 2021 – व्रत व पूजा विधि(Chaitra Purnima 2021 – Fasting and Puja Vidhi)

पूर्णिमा यानि चंद्रमास का वह दिन जिसमें चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता है। पूर्णिमा का धार्मिक रूप से बहुत अधिक महत्व माना जाता है। हिंदूओं में तो यह दिन विशेष रूप से पावन माना जाता है। चैत्र मास चूंकि हिंदू वर्ष का प्रथम चंद्र मास होता है इस कारण चैत्र पूर्णिमा को विशेष रूप से भाग्यशाली माना जाता है। इस दिन पूर्णिमा का उपवास भी रखा जाता है और चंद्रमा की पूजा की जाती है। वर्ष 2021 में चैत्र पूर्णिमा का उपवास 27 अप्रैल को है।

चैत्र पूर्णिमा का महत्व(Importance of Chaitra Purnima)

चैत्र पूर्णिमा इसलिये भी पुण्य फलदायी मानी जाती है क्योंकि समस्त उत्तर भारत में इस दिन भगवान श्री राम के भक्त भगवान हनुमान की जयंती भी मनाई जाती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही भगवान विष्णु के उपासक भगवान सत्यनारायण की पूजा कर उनकी कृपा पाने के लिये भी पूर्णिमा का उपवास रखते हैं।
हिंदू धर्म को मानने वाले कुछ समुदाय इस दिन पवित्र नदी में स्नान करते हैं और गरीबों को दान देते हैं।

करवा चौथ व्रत का समय(Karwa Chauth fasting time)

करवा चौथ व्रत का समय: 4 नवंबर 2020 को सुबह 06 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक.

कुल अवधि: 13 घंटे 37 मिनट

पूजा का शुभ मुहूर्त: 4 नवंबर 2020 की शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक.

कुल अवधि: 1 घंटे 16 मिनट.

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि(Worship method for Karva Chauth Vrat)

1. इस दिन सुबह-सवेरे उठा जाएं। आपको सरगी के रूप में जो भोजन मिला है उसे ग्रहण करें और पानी पीएं। फिर निर्जला व्रत रखने का संकल्प करें। इस दिन सूर्य उदय होने से पहले ही स्नान कर लें।

2. शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना एक चौकी पर करें। फिर गणेश जी का पूजन करें। इन्हें पीले फूलों की माला, लड्डू और केला अर्पित करें।
3. फिर शिवजी और माता पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं और श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े चढ़ाएं। इसके बाद करवा माता का चित्र लगाएं।

4. अगरबत्ती और दीपक जलाएं। फिर मिट्टी का कर्वा लें और उस पर स्वास्तिक बनाएं।

5. करवा चौथ की पूजा के लिए शाम को मिट्टी की वेदी बनाएं और उसपर सभी देवताओं की स्थापना करें। इस पर करवा रखें।

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मनाया जाने वाला पर्व है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है।

ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

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