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Essay on Land Soil Pollution in Hindi मृदा प्रदूषण पर निबंध, मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं? कारण और उपाय

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मृदा प्रदूषण पर निबंध, मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं? कारण और उपाय Essay on Land Soil Pollution in Hindi

मानव के इस पृथ्वी पर जीवन यापन करने में इस धरती की मिटटी का क्या योगदान है, ये तो हम सब जानते ही हैं. ये मिटटी हमारे लिए अन्न, फल-फूल और ताज़ी हवा का प्रबंध करती है, जिसके बिना कोई इस पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती.

मिटटी की गुणवत्ता को प्रभावित करने का मतलब है सीधे-सीधे वायु और जल प्रदूषण को भी न्यौता देना.
भूमि की मिटटी के भौगोलिक, रासायनिक गुणों में किसी भी प्रकार का वो अवांछनीय परिवर्तन जो उसकी गुणवत्ता के लिए हानिकारक हो, मृदा प्रदूषण कहलाता है.
 
सामान्य भाषा में समझें तो, मिटटी में किसी प्रकार के रासायनिक पदार्थों का मिल जाना जिससे उसकी उर्वरा शक्ति का हास होता है और वह उपजाऊ नहीं रह जाती, मृदा प्रदूषण कहलाता है.
 
उदाहरण से समझें तो, जब व्यक्ति खेतों में अच्छी फसल के लिए कीटनाशक और दवाइयों का प्रयोग करता है, यह दवाइयां कीड़ों को मारने के साथ-साथ मिटटी की उर्वरा शक्ति को भी बहुत प्रभावित करता है और धीरे धीरे मिटटी के बंजर होने की सम्भावना बढ़ जाती है.
 
मृदा प्रदूषण: एक गंभीर समस्या

खेती में उपयोग किये गए रासायनिक और जहरीले खाद, कूड़ा-करकट, दूषित जल आदि मिटटी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करते हैं.
कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला कचरा जिसमें अनेक प्रकार के केमिकल और कार्बन की मात्रा होती है, सभी को नालियों के सहारे से जाकर मिटटी के साथ मिलना होता है, जो लगातार हो रहे मृदा प्रदूषण का अहम हिस्सा है.
 
शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए जब लोग वनों में आग लगाते हैं, तो उसकी राख उड़कर पूरे जंगलों और खेतों में फ़ैल जाती है, जिसमें काफी मात्रा में कार्बन होता है, जिससे उपजाऊ मिटटी का उपजाऊपन नष्ट हो जाता है.
 
वायु प्रदूषण से भी भूमि प्रदूषण होता है, क्योंकि जब वायु में उपस्थित प्रदूषक तत्व वर्षा के माध्यम से मिटटी तक जाते हैं, तो वो मिटटी में पूरी तरह से मिल जाते हैं और मिटटी को भी प्रदूषक बना देते हैं.
 

 
मिटटी में वो सभी प्राकृतिक गुण होते हैं, जो मानव की जीविका के लिए उसको अन्न, फल-फूल और भोजन प्रदान करते हैं. ये बड़ा ही गंभीर मसला है मानव प्रजाति के लिए. क्योंकि हमारा समस्त जीवन इसी मिटटी में व्याप्त है.
आंकड़ों की बात करें तो, 1999 से 2000 में पूरे विश्व में किसानों ने 1 करोड़ 6 लाख टन रासायनिक खाद का प्रयोग किया था, जो अब भी बिना किसी रुकावट के मार्किट में आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
 
ये सभी रासायनिक तत्व मिटटी के साथ मिले और ज्यादातर सभी खाद्य पदार्थों में इसके विष की मात्रा पहुँच गयी. जिसने तमाम तरह-तरह की बीमारियों और महा-मारी को जन्म दिया.
छोटे छोटे बच्चों में अपंगता की शिकायत काफी जगह देखी गयी, जिसका मुख्य कारण मिटटी में डाले गए रासायनिक खाद थे.
 
वायु प्रदूषण के कारण एसिड रेन (वर्षा) काफी मात्रा में हानिकारक रसायन मिटटी में मिल जाते हैं, जिसका सीधा प्रभाव मानव और जानवरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है.
शहरों में बहुत ही बड़े पैमाने में कारखानों से निकलने वाला सारा अपशिष्ट जल के साथ बाहर छोड़ दिया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की धातुएं होती हैं, जो मिटटी के अंदर जाकर उसे जहरीला बना देती है.
 
बुद्धिजीवी वैज्ञानिक काफी समय से सरकार और लोगों को इसके आने वाले गंभीर परिणामों के बारे में बताते रहते हैं कि अगर भूमि प्रदूषण को सही समय पर रोका ना गया, तो ऐसा कोई देश और शहर नहीं बचेगा, जो महामारी की ग्रस्त में ना जाए.

मृदा (भूमि) प्रदूषण के कारण – Best Essay on Land Soil Pollution in Hindi

1). घरेलू कचरा जैसे प्लास्टिक बैग, पॉलीथिन, बोतल, बिजली का सामान, गंदा पानी आदि मिटटी की गुणवत्ता को दूषित करते हैं.
2). प्लास्टिक एक ऐसा पदार्थ है जो कभी भी मिटटी में गलता नहीं है और मिटटी की आंतरिक संरचना को बिगाड़ता रहता है.
ये कई हज़ारों सालों तक मिटटी में दबे रहते हैं और उसको लगातार प्रभावित करते हैं. प्लास्टिक और पॉलीथिन मिटटी के सबसे बड़े दुश्मन हैं.
 
3). कारखानों से निकले विषैले कार्बनिक व अकार्बनिक, भारी धातुएं तथा यूरेनियम, सीसा आदि जैसे हानिकारक तत्व मिटटी में विकिरण प्रभाव डालते हैं और मिटटी की जीवनी शक्ति को समाप्त करते हैं.
4). किसान जो ज्यादा फसल की पैदावार के चक्कर में अधिक रासायनिक खाद प्रयोग करते हैं, जो कुछ सालों में मिटटी की उर्वरक शक्ति और उपजाऊपन को पूरी तरह से नष्ट करते हैं.
 
5). गंदे पानी, नालियों का पानी और रसायन दवाइयों का पानी जब नहर में जाता है, तो आस-पास के सभी खेतों को बंजर बना देता है और मिटटी में से दवाई जैसी बदबू आने लगती है.
6). परमाणु संयंत्र और मिसाइल परीक्षणों में काफी मात्रा में अपशिष्ट कचरा निकलता है जो आस-पास की भूमि के उपजाऊपन को पूरी तरह नष्ट कर देता है.
7). शहरीकरण के चक्कर में की गयी वनों की गयी लगातार कटाई, कार्बन डाई ऑक्साइड की भारी कमी भूमि प्रदूषण का मुख्य कारण है.
पेड़-पौधे मिटटी को बांधे रखते हैं, जिनके काटने से मिटटी बिखर जाती है और धीरे धीरे हवा और पानी के साथ बह जाती है, जिसे मृदा अपरदन कहा जाता है.


मृदा प्रदूषण के मुख्य कारण – Best Essay on Land Soil Pollution in Hindi
 
1). तेल के कुँओं से निकले खनिज और तेल.
2). लोहा, अभ्रक, तांबा आदि खनिज पदार्थ जब जमीन से खनन करके निकाले जाते हैं, तो जमीन के साथ मिलने से मिटटी के उपजाऊपन को खत्म कर देते हैं.
 
3). एसिड रेन वायु के सभी प्रदूषक तत्व मिटटी में मिला देती है.
4). तेल की रिफाइनरी कंपनियों द्वारा तेल के रिसाव और कचरा.
5). रासायनिक खाद और उर्वरकों का उपयोग.
6). जला हुआ ईंधन, राख आदि मिटटी में मिलना.
7). परमाणु भट्टी का कचरा.
8). इलेक्ट्रॉनिक पदार्थ का मिटटी में मिल जाना.
 
मृदा प्रदूषण के प्रभाव


1). भारत और चीन जैसे बड़े देशों में भारी जहरीला मृदा प्रदूषण फ़ैल रहा है. परमाणु हमले बहुत ज्यादा तादात में भूमि को प्रदूषित करते हैं.
जापान में हुए हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले का प्रभाव इतना ज्यादा है कि आज भी वहां किसी भी प्रकार की कोई फसल की पैदावार नहीं होती. वहां की मिटटी पूरी तरह से बंजर हो चुकी है.
 
2). कोयला खनन से आर्सेनिक जैसे विषैले रसायन मिटटी को जहरीला बनाते हैं. क्रोमाइड खानों की वजह से इंडिया में कई लोगों की जान खतरे में हो गयी थी.
3). दवाइयां बनाने वाली कंपनियां बहुत ज्यादा और तेज़ी के साथ रसायनों को पानी के सहारे से जमीन की मिटटी को विषैला कर देती है.

 
4). सभी को पता है कि खेतों में उपयोग किये गए रासायनिक खाद बहुत ज्यादा मिटटी की उर्वरक शक्ति को प्रभावित करते हैं. फिर भी लगातार सरकार इस पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाती.
5). अनाज, फल सभी जहरीले हो जाते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है.
बच्चों की परवरिश और अपंगता दोनों बहुत ज्यादा वृद्धि होती जा रही है.
 
भूमि (मृदा) प्रदूषण रोकने के उपाय – Best Essay on Land Soil Pollution in Hindi
1). रासायनिक खाद के प्रयोग पर रोक:
सरकार ने जैविक खाद के उपयोग हेतु काफी योजनाएं दी हुई हैं, जिसके तहत गोबर से बानी खाद के उपयोग को लेकर प्रोत्साहन दिया गया है.
रासायनिक खाद और उर्वरक के उपयोग पर रोक लगाना एक महत्वपूर्ण कदम है.
 
2). जैविक खाद का उपयोग:
गोबर की खाद का उपयोग कृषि कार्य में सबसे उत्तम बताया गया है. इसका प्रभाव वैसे तो धीरे-धीरे देखने को मिलता है, लेकिन ये एक परम्परागत स्रोत है, जो मृदा के उपजाऊपन को लगातार सींचता रहता है.
 
3). प्लास्टिक और पॉलीथिन बैग पर बैन:
अभी सरकार ने पॉलीथिन बैग पर बैन लगाया था, लेकिन बाद में फिर से ये शुरू हो गईं. पॉलीथिन एक ऐसा पदार्थ है जो कभी मिटटी में नहीं गलता और सालों साल तक उसके उपजाऊपन को नष्ट करता रहता है. हमें प्लास्टिक के उपयोग पर खुद ही रोक लगानी होगी.
 
4). साबुन, डिटर्जेंट आदि के उपयोग पर बिलकुल रोक लगाना चाहिए.
5). खेतों में जल निकासी के लिए उचित प्रबंध होने चाहिए, जिससे जल भराव ना हो.
6). वनों की कटाई पर प्रतिबन्ध
7). ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण.

 
निष्कर्ष
बढ़ती हुई आबादी के लिए अनाज के उत्पादन में भी वृद्धि आवश्यक है, ताकि खाद्यानों की कमी ना हो. ऐसे में अगर मिटटी और जड़ ही स्वस्थ नहीं होंगी, तो मानव स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त अनाज उगाना संभव ही नहीं.
मानव इस बात को भली-भांति जानते भी हैं और इसकी महत्वता को पहचानते भी हैं, लेकिन फिर भी सिर्फ लालच और पावर ऑफ़ प्रॉफिट के चक्कर में भूलकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं.
 
बुद्धिजीवी आज इस कगार पर आ खड़ा हुआ है कि उसने एक ऐसा माहौल बना दिया है कि प्रकृति आज इस बुद्धिजीवी पर खुद शर्मसार है. मानव को अपनी गलती स्वीकार करते हुए अपने बुद्धिजीवी होने का परिचय देना चाहिए.

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