What is Chandrayaan 2 in Hindi full details? चंद्रयान-2 मिशन क्या है निबंध
चंद्रयान-2 या द्वितीय चन्द्रयान, चंद्रयान-1 के बाद भारत का दूसरा चन्द्र अन्वेषण अभियान है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने विकसित किया है। इस अभियान में भारत में निर्मित एक चंद्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैंडर शामिल हैं। इन सब का विकास इसरो द्वारा किया गया है।चंद्रयान 2 को 22 जुलाई को उसी लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया था, जहां से चंद्रयान 1 ने उड़ान भरी थी। पहले इस्तेमाल किए गए पुराने पीएसएलवी रॉकेट का उपयोग करने के बजाय, अंतरिक्ष यान ने उन्नत जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) का उपयोग किया।
पिछली बार के विपरीत, इसरो ने वजन प्रतिबंध के कारण किसी भी विदेशी पेलोड को ले जाने से मना कर दिया। लेकिन जून 2019 में, यह नासा से एक छोटे से लेजर रिट्रोफ्लेक्टर को ले जाने के लिए सहमत हुआ।
हालाँकि, परिक्रमा 100 किमी की दूरी पर चंद्रमा पर मंडराएगी और निष्क्रिय प्रयोगों का प्रदर्शन करेगी जैसा कि चंद्रयान 1 पर हुआ था। पूरे चंद्रयान 2 मिशन की लागत लगभग $ 141 मिलियन है। यह मार्वल एवेंजर श्रृंखला की हर किस्त से कम है। चंद्रयान 1 के विपरीत, इस बार दांव काफी ऊंचा है क्योंकि अंतरिक्ष यान भी एक चंद्र रोवर, ऑर्बिटर और लैंडर ले जा रहा है। इसके अलावा, चंद्रयान 2 स्व-निर्मित घटकों और डिजाइन वाहनों का उपयोग करने वाला देश का पहला अवसर है।
चंद्रयान 2 की विशेषताएँ
i) चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर एक Soft लैंडिंग का संचालन करने वाला पहला अंतरिक्ष मिशन हैं।
ii) पहला भारतीय मिशन, जो घरेलू तकनीक के साथ चंद्र सतह पर एक soft लैंडिंग का प्रयास करेगा।
iii) पहला भारतीय मिशन, जो घरेलू तकनीक के साथ चंद्र क्षेत्र का पता लगाने का प्रयास करेगा।
iv) 4th देश जो चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
हालाँकि विक्रम के साथ सम्पर्क टूट जाने के कारण अभी इन सभी विषयों का सफल होना असंभव प्रतीत हो रहा है, परन्तु इसरो और नासा के वैज्ञानिक लगातार विक्रम से सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। यदि विक्रम से सम्पर्क हो जाता है तो यह भारत के लिए एक स्वर्णिम उपलब्धि होगी और यदि विक्रम से सम्पर्क स्थापित नहीं हो पता है तो भी भारत का चंद्रयान 2 मिशन 90 से 95 प्रतिशत सफल माना जाएगा।
चंद्रयान 2 की वर्तमान स्थिति
इसरो द्वारा चंद्रयान-2 को भारतीय समयानुसार 15 जुलाई 2019 की तड़के सुबह 2 बजकर 51 मिनट में प्रक्षेपण करने की योजना थी, जिसको कुछ तकनीकी ख़राबी की वजह से रद्द कर दिया गया था, इसलिए इसका समय बदल कर 22 जुलाई 02:43 अपराह्न कर दिया गया था, जिसके फलस्वरूप इस यान को निर्धारित समय पर सफलता पूर्वक प्रक्षेपित किया गया। दिनांक 07 सितंबर 2019 को रात्रि 02 बजे चंद्रमा के धरातल से 02.1 किमी ऊपर विक्रम लेंडर का इसरो से फिलहाल सम्पर्क टूट गया है। दोबारा से लैन्डर से संपर्क किया जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) के अध्यक्ष के़ सिवन ने कहा, ‘विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह से 02.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य तरीके से नीचे उतरा। इसके बाद लैंडर का धरती से संपर्क टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। सितंबर को, इसरो के चेयरपर्सन, डॉ॰ के सिवन ने घोषणा की है कि लैंडर को चंद्रमा की सतह पर ऑर्बिटर के थर्मल छवि की मदद से देखा गया है, और कहा कि ऑर्बिटर एवं अन्य एजेंसी कोशिश कर रही है, लैंडर के साथ साफ्ट संचार स्थापित किया जा सके।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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