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Dhanteras ki Puja Kaise Kare: धनतेरस की पूजा कैसे करें?

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धनतेरस पर कब और कैसे करें पूजा, जानिए खरीदारी के लिए शुभ समय

आज कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि होने से धनतरेस त्योहार मनाया जा रहा है। समुद्र मंथन में आज के ही दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए इनकी पूजा की जाती है। वहीं अकाल मृत्यु न हो इसके लिए आज शाम को यमराज के लिए दक्षिण दिशा में या घर के मेनगेट पर आटे का दीपक रखा जाएगा। जिससे यमराज खुश होते हैं। धनतेरस पर खरीदारी के साथ भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है। पूजा की पूरी विधि के साथ जानिए खरीदारी और पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त।

धनतेरस की पूजा विधि –

सबसे पहले नहाकर साफ वस्त्र पहनें। भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें तथा स्वयं पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। उसके बाद भगवान धन्वंतरि का आह्वान इस मंत्र से करें।

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतं,
अन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपम्, धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।

धनतेरस की पौराणिक कथा

यह तिथि विशेष रूप से व्यापारियों के लिए अति शुभ माना जाता है। महर्षि धन्वंतरि को स्वास्थ्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन के समय महर्षि धन्वंतरि अमृत कलश लेकर अवतरित हुए थे। इसीलिए इस दिन बर्तन खरीदने की प्रथा प्रचलित हुई। यह भी माना जाता है कि धनतेरस के शुभावसर पर चल या अचल संपत्ति खरीदने से धन में तेरह गुणा वृद्धि होती है।

एक और कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु द्वारा श्राप दिए जाने के कारण देवी लक्ष्मी को तेरह वर्षों तक एक किसान के घर पर रहना था। माँ लक्ष्मी के उस किसान के रहने से उसका घर धन-समाप्ति से भरपूर हो गया। तेरह वर्षों उपरान्त जब भगवान विष्णु माँ लक्ष्मी को लेने आए तो किसान ने माँ लक्ष्मी से वहीँ रुक जाने का आग्रह किया। इस पर देवी लक्ष्मी ने कहा किसान से कहा कि कल त्रयोदशी है और अगर वह साफ़-सफाई कर, दीप प्रज्वलित करके उनका आह्वान करेगा तो किसान को धन-वैभव की प्राप्ति होगी। जैसा माँ लक्ष्मी ने कहा, वैसा किसान ने किया और उसे धन-वैभव की प्राप्ति हुई। तब से ही धनतेरस के दिन लक्ष्मी पूजन की प्रथा प्रचलित हुई।

धनतेरस के दिन क्या करें

1. इस दिन धन्वंतरि का पूजन करें।

2. नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।

3. सायंकाल दीपक प्रज्वलित कर घर, दुकान आदि को श्रृंगारित करें।

4. मंदिर, गोशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।

5. यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन और जेवर खरीदना चाहिए।

6. हल की जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।

7. कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआँ, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।

इस दिन धन्वंतरि जी का पूजन इस तरह करें –

नवीन झाडू एवं सूपड़ा खरीदकर उनका पूजन करें।

सायंकाल दीपक प्रज्ज्वलित कर घर, दुकान आदि को सुसज्जित करें।

मंदिर, गौशाला, नदी के घाट, कुओं, तालाब, बगीचों में भी दीपक लगाएं।

यथाशक्ति तांबे, पीतल, चांदी के गृह-उपयोगी नवीन बर्तन व आभूषण क्रय करें।

हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें।

कार्तिक स्नान करके प्रदोष काल में घाट, गौशाला, बावड़ी, कुआं, मंदिर आदि स्थानों पर तीन दिन तक दीपक जलाएं।

शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गद्दी बिछाएं अथवा पुरानी गद्दी को ही साफ कर पुन: स्थापित करें।

धन्वंतरि जी की पूजा से तात्पर्य आसपास के वातावरण की सफाई से है। समूह में दीपक जलाने से तापमान बढ़ता है, जिससे सूक्ष्म कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और प्रकृति स्वरूपा साक्षात् लक्ष्मी के आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है।

धनतेरस क्यों मनाया जाता है

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि जिस समय समुद्र मंथन हो रहा था, उसी समय भगवान धनवंतरि एक रत्न के रूप में समुद्र मंथन से बाहर आ गए थे. धनतेरस के शुभ अवसर पर धनवंतरि के साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की आराधना भी की जाती है. दीपावली के पर्व का शुभारंभ धनतेरस से ही होता है. तो आइए जानें धनतेरस 2020 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और महत्व.

कैसे करें धनतेरस की पूजा

धनतेरस के पर्व पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर, आरोग्य के देवता व आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि और यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान धन्वंतरि की पूजा धनतेरस के दिन करने से आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा की विधि विधान से पूजा की जानी चाहिए. धूप और दीपक से आरती कर फूल अर्पित करने चाहिए और पूरी श्रद्धा व भक्ति भाव के साथ अराधना करनी चाहिए.

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