ध्वनि प्रदूषण पर निबंध, ध्वनि प्रदूषण क्या है? कारण & रोकने के उपाय Essay on Noise Pollution in Hindi
ध्वनि प्रदूषण…. जैसा कि नाम से ही विदित है, वह प्रदूषण जो ध्वनि के माध्यम से होता है. सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि पूरा विश्व इस प्रदूषण की चपेट में हैं.
ध्वनि प्रदूषण का सामान्यतः अर्थ है- अत्यधिक शोर.
वो ध्वनि या शोर जो मानव और जानवरों को परेशानी में डाल देती है. लगातार बढ़ती हुई जनसँख्या, सड़कों पर हज़ारों की तादात में परिवहन वाहन, फैक्ट्री/ कारखाने ये सभी ध्वनि प्रदूषण के उदाहरण हैं.
अगर ध्वनि की तीव्रता बहुत ज्यादा हो जाए, तो ये किसी भी मानव की सुनने की क्षमता को भी ख़त्म कर सकती है.
हालांकि ये प्रदूषण वायु, जल और मृदा प्रदूषण से कम हानिकारक है, लेकिन फिर भी इसको सुलझाने के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है.
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत
1). यातायात साधन:
गाँव में अपेक्षा शहरों में यातायात के साधन ज्यादा होते हैं. ट्रैन, मेट्रो, ट्रक, बस, मोटर साइकिल आदि सभी वाहन चलने पर आवाज़ करते हैं और साथ जब ये हॉर्न बजाते हैं, तो बहुत ज्यादा ध्वनि निकलती है.
शहरों में ये शोरगुल भरा माहौल सबसे ज्यादा होता है और यही कारण है कि यहाँ ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण भी ज्यादा होता है.
2). उद्योग:
छोटी- बड़ी फैक्ट्रियों में लगी मशीनें, टरबाइन और बायलर आदि से बहुत अधिक आवाज़ पैदा है.
ये फैक्ट्रियां लगातार 24 घंटे तक चलती हैं और लगातार ध्वनि उत्पन्न करती रहती हैं.
ये ध्वनि प्रदूषण का सबसे अहम कारण है, जिसका प्रभाव पूरे शहरों में और साथ ही आसपास के काम करने वाले लोगों पर भी पड़ता है.
3). मनोरंजन के साधनों से ध्वनि प्रदूषण:
डी.जे., टी.वी., रेडियो आदि ये सभी मानव के मनोरंजन के साधन हैं, लेकिन इनसे निकली तेज़ आवाजें ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं.
आजकल लोग शादी- पार्टियों में डी.जे. सिस्टम बनाते हैं, जिससे आस-पास के सभी लोग और जानवर प्रभावित होते हैं.
बहुत तेज़ ध्वनि हार्ट- अटैक का भी कारण बन सकती है.
Best Essay on Noise Pollution in Hindi/ ध्वनि प्रदूषण
4). आतिशबाजी:
भारत में बहुत से ऐसे त्यौहार हैं, जब लोग अपने घरों में आतिशबाजी का प्रयोग करते हैं. दिवाली, क्रिश्मस, मेलों में और शादियों में लोग बड़े-बड़े पटाखे जलाते हैं, जो वायु को दूषित करने के साथ साथ बहुत तेज़ी से आवाज़ पैदा करते हैं और वातावरण को हानि पहुंचाते हैं.
5). निर्माण कार्य:
कंस्ट्रक्शन का काम अगर देखें तो शहरों में बहुत सी जगहों पर देखा जा सकता है. सड़क बनाना, घर, ऑफिस आदि के निर्माणों के लिए बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग किया है.
जिससे बहुत ही तीव्र ध्वनि उत्पन्न होती है, जो पास खड़े लोगों और जानवरों को आंतरिक रूप से हानिप्रद होती है.
ध्वनि प्रदूषण के मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:
1). ज्यादा तेज़ आवाज़ वाले यंत्र या मशीन के पास रहने से कानों के सुनने की क्षमता का ह्रास होता है और साथ ही कान के परदे फटने का भी डर रहता है.
2). ध्वनि प्रदूषण चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, ब्लड प्रेशर आदि खतरनाक प्रभाव मानव और जानवरों के स्वास्थ्य पर छोड़ता है.
3). जो लोग फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करते हैं और अपनी ड्यूटी के ज्यादातर समय वो मशीनों से घिरे रहते हैं, ऐसे लोगों को दिल की बिमारी लगना लाजमी है.
ध्वनि प्रदूषण हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, उल्टी- सीधी आवाज़ें आना आदि जैसी बीमारियों को भी जन्म देता है.
4). तेज़ ध्वनि जंगली जानवरों को बहुत आक्रामक बना देती है, जिसके कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
5). अगर ध्वनि की तीव्रता 80 डेसीबल से 100 डेसीबल तक चली जाए तो ये मानव के सुनने की क्षमता को सीधे-सीधे प्रभावित करता है.
पर्यावरणीय प्रभाव – Best Essay on Noise Pollution in Hindi/ ध्वनि प्रदूषण
1). तीव्र ध्वनि पशुओं में तनाव पैदा करने के साथ-साथ उनके प्रजनन तथा नेविगेशन सिस्टम के संतुलन को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है.
अगर ध्वनि की तीव्रता काफी समय के लिए लगातार चलती रहे, तो उनके सुनने की शक्ति भी छीन जाती है.
2). कुछ पशु- पक्षी ज्यादा आवाज़ वाले इलाकों से हमेशा के लिए पलायन कर जाते हैं और वहाँ से विलुप्त होने लगते हैं.
जब समुद्रों में पनडुब्बी या तोपों की गोलाबारी होती है, तो इससे भी मछलियों की मृत्यु हो जाती है.
3). तेज़ ध्वनि पेड़-पौधों की वृद्धि के लिए भी हानिकारक होती है.
ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय
1). सड़क पर यातायात के शोर से निपटने के लिए वाहनों की तीव्र गति पर रोक, ध्वनि अवरोधक यंत्र, सडकों का सही ढंग से निर्माण, ज्यादा भारी वाहनों का दिन के समय में प्रतिबन्ध तथा टायरों की डिज़ाइन में सुधार किया जा सकता है.
2). वाहनों, ट्रैन, हवाई जहाज़ आदि के इंजिनों में ध्वनि अवरोधक यंत्र लगाए जाए, क्योंकि इन सभी से बहुत ज्यादा शोर पैदा होता है.
3). त्योहारों और शादी-विवाह के अवसरों पर आतिशबाज़ी के प्रयोग पर पूर्णत प्रतिबन्ध लगाना भी बहुत अनिवार्य है.
ऐसे मौकों पर हम जाने-अनजाने इतना ज्यादा वायु और ध्वनि प्रदूषण कर बैठते हैं, जिसका हमें अंदाजा तक नहीं रहता.
4). फैक्ट्री और कारखानों की मशीनों के निर्माण में उच्च किस्म की तकनीक का उपयोग हो, और साथ ही इनको साउंड प्रूफ चैम्बर में रखा होना चाहिए.
5). सड़क पर जाम लगने पर बेवजह हॉर्न बजाने से बचना चाहिए. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग जाम लगने पर और ज्यादा जोर-जोर से गाडी का हॉर्न बजाने लगते हैं.
6). डी.जे. सिस्टम पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए या फिर उनके सिस्टम के आवाज़ की सीमा निर्धारित कर देनी चाहिए.
अक्सर देखा जाता है कि रात की शादियों में जब पूरी रात डी.जे. बजता है, तो आस-पास के लोग ना तो ठीक से सो पाते हैं और ना ही विद्यार्थी ठीक से पढ़ पाते हैं.
निष्कर्ष – Best Essay on Noise Pollution in Hindi/ ध्वनि प्रदूषण
यह एक ऐसा विषय है जिसके लिए चिंतन करने के साथ साथ लोगों में इसके प्रति जागरूकता पैदा करना जरुरी है. जिन लोगों को इसके दुष्परिणामों के बारे में कुछ भी नहीं पता, ऐसे लोगों को ट्रेनिंग देना जरुरी है.
इस विषय में सरकार जितना भी करना चाहे, नहीं कर सकती. जब तक जन-सामान्य इसकी गंभीरता को नहीं देखेगा, और खुद इस पर अमल करेगा, तब ही इसका निदान संभव है.
लोगों की जागृति बढ़ाने के लिए सरकार को भी कुछ गतिविधियां करनी चाहिए जैसे लेक्चर, सेमिनार आदि आयोजित करें और लोगों को इस परेशानी से अवगत करा कर इसके उपाय भी बताएं.
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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