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ईमानदारी एक जीवन शैली पर निबंध : Imandari Essay in Hindi

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What is Honesty in Hindi? Imandari Kya Hai

Honesty refers to a facet of moral character and connotes positive and virtuous attributes such as integrity, truthfulness, straightforwardness, including straightforwardness of conduct, along with the absence of lying, cheating, theft, etc. Honesty also involves being trustworthy, loyal, fair, and sincere.

ईमानदारी क्या है ? ईमानदारी का अर्थ – Essay on Honesty is the Best Policy in Hindi

“ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है”, यह कहावत बहुत ही प्रसिद्ध कहावत है हालांकि, इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसका सभी के द्वारा अपने जीवन में पालन किया जाना चाहिए। “ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है” के अनुसार, एक व्यक्ति को किसी भी सवाल का जवाब देते समय या दुविधा में भी, पूरे जीवन भर सदैव वफादार और सच बोलने वाला होना चाहिए। जीवन में ईमानदार, वफादार और सच्चा होना, व्यक्ति को मानसिक शान्ति प्रदान करता है। ईमानदार व्यक्ति हमेशा सुखी और शान्तिपूर्ण रहते हैं क्योंकि, वे बिना किसी अपराध के अपना जीवन जीते हैं। सभी के साथ जीवन में ईमानदार होना, हमारी मानसिक शान्ति को प्राप्त करने में मदद करता है, क्योंकि हमें उन झूठों को याद करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जो हमने दूसरों से खुद को बचाने के लिए बोले हैं।

हालांकि, ईमानदारी की आदत को विकसित किए बिना, हम सरलता और जीवन की अन्य अच्छाईयों को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। हम कह सकते हैं कि, ईमानदारी सरलता के बिना हो सकती है पर सरलता ईमानदारी के बिना कभी भी नहीं हो सकती है। बिना ईमानदारी के हम दो संसारों में रहते हैं, अर्थात् एक सच्चा संसार और अन्य दूसरा वह संसार जो हमने विकल्प के रुप में बनाया है। फिर व्यक्ति “ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है”, का जीवन के हरेक पहलु (व्यक्तिगत, व्यवसाय, नौकरी, और अन्य रिश्तों) में पालन करते हैं और आमतौर पर एक समान जीवन जीते हैं। एक तरफ जहाँ ईमानदारी हमें सरलता की ओर ले जाती है; वहीं दूसरी ओर बेईमानी हमें दिखावे की ओर ले जाती है।

Honesty Essay in Hindi : ईमानदारी पर निबंध & ईमानदारी की कहानी

नीचे दिए गए कुछ बिन्दु ईमानदारी की जीवन-शैली के लाभों का वर्णन करते हैं:

जीवन में ईमानदारी का अर्थ अंतरंगता (पारस्परिकता) का रास्ता है अर्थात् यह हमारे मित्रों को हमारे बहुत करीब सच्चे मित्र की तरह वास्तविक सच के साथ लाती है; न कि उनके करीब जहाँ हमें दिखावा करना पड़ता है।

  • यह जीवन में अच्छा, वफादार, और उच्च गुणों वाले मित्रों को बनाने में मदद करती है, क्योंकि ईमानदारी सदैव ईमानदारी को आकर्षित करती है।
  • यह भरोसेमंद होने में हमारी मदद करती है और जीवन में बहुत अधिक सम्मान को प्राप्त करती है, क्योंकि ईमानदार लोगों पर दूसरे हमेशा विश्वास करते हैं।
  • यह मजबूती और आत्मविश्वास लाती है और दूसरों के द्वारा खुद को कम करके न आंकने में मदद करती करती है।
  • ऐसा देखा जाता है कि, ईमानदार लोग आसानी से कल्याण की भावना विकसित कर लेते हैं और शायद ही कभी जुकाम, थकान, निराशा, अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक समस्याओं को विकसित करते हैं।
    ईमानदार लोग एक बेईमान की तुलना में राहत के साथ आरामदायक जीवन जीते हैं।
  • यह शान्तिपूर्ण जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है और हमें परेशानियों से बाहर निकालता है।
  • शुरुआत की स्थिति में, ईमानदारी को विकसित करने में बहुत से प्रयास लगते हैं हालांकि, बाद में यह बहुत आसान हो जाती है।

जीवन में अच्छा चरित्र, विश्वास और नैतिकता आसानी से ईमानदारी को विकसित करती है, क्योंकि एक अच्छे चरित्र वाले व्यक्ति के पास किसी से भी छिपाने के लिए कुछ भी नहीं होता है, इस प्रकार आसानी से ईमानदार बन सकते हैं। ईमानदारी हमें बिना किसी बुरी भावना के आत्म-प्रोत्साहन की भावना देती है।

ईमानदारी पर छोटी कहानी-

जिंदगी में हमे कई तरह के इन्सान मिलते हैं। कई बार वो हमें कुछ खुशियाँ या गम दे जाते हैं। वो सब हम समय के साथ भूल जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो कुछ ऐसा दे जाते हैं जिसे भूलना आसान नहीं होता। ऐसी ही एक कहानी मै आप लोगों के समक्ष रखने जा रहा हूँ। जिसमे ईमानदारी की मिसाल देते हुए एक ऐसे व्यक्ति की मिसाल है। जिसके पास अपनी जिंदगी बदलने का सुनहरा मौका था लेकिन उसने ये मौका ठुकरा दिया। आइये पढ़ते हैं ईमानदारी की कहानी:-

ईमानदारी की कहानी इन हिंदी

गर्मियां चल रही थीं। 8 बजने वाले थे लेकिन रोहन अभी तक सो रहा था। तभी पास पड़े फ़ोन कि घंटी बजी,

‘”हेल्लो।” रोहन ने अलसाई हुयी आवाज में बोला।
“हेल्लो रोहन….रोहन …..” उस तरफ से कोई घबरायी हुयी आवाज में बार बार बस रोहन-रोहन बोल रहा था।
“हेल्लो…हेल्लो डैड……डैड क्या हुआ?”
“ब…ब ….ब….बेटा वो पैसे…वो पैसे कहीं गिर गए।”

रोहन के दिमाग में तुरंत वो दृश्य घूम गया जब रातको उसके डैड बोल रहे थे कि उन्होंने कुछ लोगों से कर्जा लेकर 9 लाख रुपयों का इंतजाम कर लिया है। और 5 लाख रूपये अपने सरे पैसे इकठ्ठा करने पर हुए हैं। नई प्रॉपर्टी लेने के लिए वो पैसे लेकर आज स्कूटर पर अपने अकाउंटेंट के पास जा रहे थे। पैसे उन्होंने एक साधारण लिफाफे में रख कर स्कूटर के आगे बने हुक पर लटकाए थे। न जाने वो कैसे और कहाँ गिर गए।

“हेल्लो रोहन….रोहन सुन रहे हो बेटा ?”
तभी रोहन अपने ख्यालों के दायरे से बहार निकला और असलियत कि हद में आया।
“यस डैड आप टेंशन मत लो मैं अभी आया।” कहते हुए रोहन तुरंत उठा और बाहर जाने लगा।

“अरे बेटा, आज जल्दी उठ गए? कहाँ जा रहे हो इतनी सुबह?”
“माँ वो……” कहता-कहता रोहन एक दम उसे पता था कि उसकी माँ ब्लड प्रेशर की मरीज थीं। इसलिए उसने माँ को कुछ नहीं बताया और झूठ बोल दिया कि उसके एक दोस्त ने अभी-अभी फ़ोन किया और उसे जल्दी बुलाया है। इतना कहकर रोहन ने बाइक निकाली और चल पड़ा अपने डैड के पास।

रास्ते में जाते हुए उसकी निगाह सड़क के चारों ओर घूम रही थी। उसे ये उम्मीद थी कि शायद उसे वो पैसे सड़क पर मिल जाएँ। साथ ही दिमाग में रात को हुयी बातचीत उसके जेहन में अब भी घूम रहे थे। इन्हीं ख्यालों के बीच वो अपने डैड के पास पहुँच गया।

“रोहन….कुछ समझ नहीं आ रहा मुझे……हम बर्बाद हो गए…”
कहते हुए उसके डैड रोने लगे। ये पहली बार था अब उसने अपने पिता को इस हालत में देखा था।
” हिम्मत मत हारिये पिता जी। भगवान् जरुर कोई रास्ता निकालेंगे।”

रोहन को ये एहसास था कि उसके पिता को उन पैसों की चिंता नहीं है। चिंता तो उन्हें उन पैसों की थी कि वो कर्ज वाले पैसे वापस कैसे करेंगे। रोहन खुद भी हिम्मत हार चुका था लेकिन अगर वो भी इसी तरह करता तो उसके डैड को कौन संभालता। तभी उसके डैड के फ़ोन कि घंटी बजने लगी।

“हेल्लो…हाँ….हाँ बस थोड़ी देर तक आ रहे हैं।”
“किसका फ़ोन था?” रोहन ने अपने डैड से पूछा।
“अकाउंटेंट का….पूछ रहा था कब आ रहे हो।”

अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए। पहले उन्होंने सोचा पुलिस के पास जाना चाहिए। लेकिन पुलिस के पास जाने वाला विचार उनको पसंद नहीं आया। उन्हें लगा इस से ये बात पूरे शहर में फ़ैल जाएगी।

तभी फिर फ़ोन कि घंटी बजी। इस बार फ़ोन रोहन ने उठाया और अकाउंटेंट को सब कुछ बता दिया। अकाउंटेंट ने उन्हें अपने ऑफिस में जल्दी से जल्दी आने के लिए कहा। रोहन अपने डैड के साथ अकाउंटेंट के ऑफिस पहुंचा।

“ये सब हुआ कैसे?”
अकाउंटेंट ने उनसे पूछा। रोहन और उसके डैड ने सब कुछ उन्हें बता दिया। अभी इस बात पर विचार-विमर्श चल ही रहा था कि अचानक अकाउंटेंट के फ़ोन की घंटी बजी।

“हेल्लो….हाँ ……हाँ….तुम वहीँ रुकना मैं अभी आ रहा हूँ।”
चलिए हमें अभी चलना होगा।
“कहाँ?” रोहन ने हैरानी से पूछा।
“अभी इन सब बातों का वक़्त नहीं है। आप बस जल्दी मेरे साथ चलिए।”

रोहन ने फिर कोई सवाल नहीं किया और साथ चल पड़ा। चलते-चलते उसके दिमाग में अब नए ख्याल आने लगे। कभी उसे लग रहा था शायद सामने वाली पार्टी उनके समय से न पहुँचने पर उनकी ये बात सबको न बता दें। इससे उनकी बहुत बदनामी हो जाएगी और जो नाम उसके डैड ने इतने सालो में बनाया है। कहीं वो पल भर में मिटटी में न मिल जाए।

शहर के बाहर जाकर कर अकाउंटेंट की कार रुकी। एक आदमी वहीँ बाहर खड़ा पहले से इंतजार कर रहा था। अकाउंटेंट ने उन्हें वहां रुकने के लिए कहा और खुद उस आदमी के साथ अन्दर चला गया।

वहां पर एक 5 फुट, गठीले शरीर का,रंग श्याम वर्ण और सफ़ेद रंग की धारीदार कमीज पहने एक आदमी खड़ा था। उसके कपड़े पर काले रंग की एक हलकी सी परत जमी हुयी थी। थोड़ी देर में वो अन्दर गया और बहार आ कर रोहन से कहा की उन्हें अन्दर बुलाया गया है। रोहन अपने डैड के साथ ऑफिस के अन्दर गया।

“ये रॉय साहब हैं। मेरे भाई। इस समय यही आपकी मदद कर सकते हैं।”
इतना सुनते ही रोहन और उसके डैड के मन में सवालों का इतना बड़ा हुजूम उमड़ा कि उनके मुंह से बस एक ही शब्द निकला,
“कैसे?”
“इन्हें एक पैसों से भरा लिफाफा मिला है जो शायद आपका हो सकता है।”

रोहन को लग रहा था जैसे अकाउंटेंट उनके साथ एक बहुत ही बेहूदा मजाक कर रहा है। फिर भी उसके पास और कोई चारा नहीं था।
“सर, ये क्या कह रहें हैं आप?”
“सच बोल रहा हूँ।”

रोहन इससे पहले कुछ समझ पाता रॉय शब् बोले, “देखिये इतना हैरान होने की जरुरत नहीं है। अगर पैसे आपके हैं तो कितने हैं और क्या पहचान है बता कर आप अपने पैसे वापस लेकर जा सकते हैं।”

रोहन के दिमाग में एक पल के लिए न जाने कहाँ से ये बात आ गयी कि कहीं दोनों ने मिल कर तो किसी तरीके से पैसे गायब नहीं किये थे। लेकिन अगर उन्होंने ऐसा किया होता तो पैसे वापस न करते।

“14 लाख रुपये थे। 10 लाख 1000 के नोट थे और 4 लाख 500 के नोट थे।” रोहन के डैड तुरंत बोले। उन्हें उस समय कुछ सूझ नहीं रहा था और रोहन इस सब से हैरान था जो उसके साथ बीते 2-3 घंटे में बीत रहा था। रॉय साहब ने लिफाफा आगे करते हुए कहा, “लीजिये गिन लीजिये।”

रोहन के डैड ने पैसे गिनना जरुरी नहीं समझा क्यूंकि अगर उन्हें हेराफेरी करनी ही होती तो पैसे वापस क्यूँ करते। रोहन के डैड ने वो पैसे उसी तरह अकाउंटेंट को दे दिए। धन्यवाद करते हुए वो वहा से चलने ही वाले थे कि अचानक रोहन फिर रॉय साहब के पास गया और पूछा कि उन्हें ये पैसे मिले कहाँ से?

“राजू……ओये राजू….” रॉय साहब ने आवाज लगायी। वही शक्श अन्दर आया जो कुछ देर पहले बाहर खड़ा था 5 फुट, गठीले शरीर का,रंग श्याम वर्ण वाला वह व्यक्ति अब सामने खड़ा था। रॉय साहब ने बताया कि पैसे इसी को मिले थे। लेकिन मै आया नहीं था तो इसने मेरा इंतजार किया और मेरे आते ही इसने ये पैसे मुझे देकर कहा कि इसे रास्ते में मिले थे।

रोहन को अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था। आज कि दुनिया में ऐसा भी हो सकता है। अगर वो आदमी चाहता तो सारे पैसे रख कर अपनी जिंदगी बड़ी आसानी से गुजर सकता था। रोहन ने एकदम से उसे गले लगा लिया। वो आदमी एकदम से हैरान रह गया। उसे समझ नही न आ रहा था कि ये हो क्या रहा है?

“रोहन बेटा चलो चलना है।” रोहन के डैड ने आवाज लगायी। रोहन ने अपनी पेंट कि जेब में हाथ डाला तो 100 रूपए का नोट उसके हाथ में आया। उसने वो नोट निकला और उस आदमी कि जेब में डाल दिया। इससे पहले वो कुछ समझ पाता रोहन वहा से चला गया। वो आदमी उसके लिए ईमानदारी का एक आदर्श बन गया था।

रोहन ने उस आदमी से एक बात सीख ली थी कि खुद चाहे जिस स्थिति में रहो दूसरों को कभी तकलीफ पहुंचे ऐसा काम कभी मत करो। उस आदमी के कारण ही रोहन का परिवार मुसीबत में फंसने से बच गया था।

आज के ज़माने में जहाँ चारों ओर चोरी, भ्रष्टाचार, बेईमानी और रिश्वतखोरी ऐसी चीजें बढ़ रहीं हैं। ऐसे समय में राजू जैसे लोगों ने ही इंसानियत को जिन्दा रखा है।

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