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ध्यान कैसे करें? चमत्कारिक अनुभव, ध्यान क्या है? प्रकार – Dhyan Kaise Kare

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ध्यान करने के सरल उपाय – Bhagwan ka Dhyan Kaise Kare (ध्यान कैसे करें इन हिंदी)

एक गहरे ध्यान के अनुभव के लिए यह आसान सुझाव अत्यंत ही प्रभावशाली है:

समय एवं स्थान का चयन करें।
पेट को थोड़ा खाली रखें और आराम से बैठें।
कुछ वार्मअप/ व्यायाम एवं गहरी सांस के साथ प्रारंभ करें।
अधिक मुस्कान रखें। और पढ़े..
क्या आपको पता है, बस थोड़ा समय अपने ध्यान के तैयारी में खर्च करके ध्यान का गहरा अनुभव प्राप्त सकते हैं?

शुरुआती दौर में ध्यान करने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं , जिससे आपको घर पर ध्यान करने के लिए मदद मिल सकती हैं।

क्या आँखे बंद करके शांत बैठना कठिन लगता है ? – इसके लिये चिंता न करें आप ऐसें अकेले नहीं है। जो व्यक्ति ध्यान करना सीखना चाहता है, उसके लिए नीचे कुछ सरल उपाय हैं। इस अभ्यास में जैसे आप नियमित होंगे, आप निश्चित ही इसके और गहन में जायेंगे।

ध्यान के चमत्कारिक अनुभव Dhyan kaise kare aur uske fayde

घर पर ध्यान करने के लिए सबसे पहले, आपको एक जगह चुनेनी जो शांतिपूर्ण हो। यह आपका बगीचा, या आपका पूजा स्थल हो सकता है। यदि आपका घर शोर करने वाले प्राणियों द्वारा साझा किया जाता है, तब भी आप वैराग्य खोज सकते हैं। आप इयरप्लग को खरीद सकते हैं, जो विशेष रूप से किसी भी बाहरी ध्वनि के रुकावट को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। वे आपके स्थानीय मेडिकल स्टोर या ऑनलाइन ई-कॉमर्स साइट पर आसानी से मिल जायगे । आप उचित समय चुनकर भी ध्यान को प्राप्त कर सकते हैं। आम तौर पर सबसे सही समय सुबह या आधी रात का होता है, क्योंकि यह एकमात्र ऐसा समय है जब बाहरी शोर अन्य समय की तुलना में कम होता है।

दूसरी बात जो आपको चुननी है वह है आसन जिसमें आपको ध्यान के लिए बैठना है। बुद्धिमान सुझाव देता है कि योग के लिए पद्मासन या सुखासन ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त स्थिति है क्योंकि यह रीढ़ को सीधा करने में भी मदद करते है और ध्यान केंद्रित करने में भी । लेकिन मेरा सुझाव है कि शवासन (शव आसन) भी ध्यान के लिए बेहतर है। आपको बस सांस अंदर और बाहर लेना है और बाहर जो कुछ भी हो रहा है, उस पर ध्यान नहीं देना है। याद रखें कि ध्यान के लिए आसन की आवश्यकता नहीं है, केवल सांसों को नियंत्रण करने की आवश्यकता है।

ध्यान के दौरान सांस लेने का महत्व: गहराई से सांस लें और सांस को नियंत्रित करने की कोशिश करें। सांसों के द्वारा ध्यान को केंद्रित तथा सक्रिय करने में सहायता मिलती है। ध्यान करते समय जब मन अस्थिर हो तो उस समय सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को देखने की कोशिश करें तथा इसका एहसास करें, आपका मन स्थिर हो जायेगा और ध्यान लगने लगेगा। ध्यान करते समय गहरी सांस लेकर धीरे-धीरे सांस छोड़ने की क्रिया से जहाँ शरीर और मन को लाभ मिलता है, वहीं ध्यान में गति मिलती है।
हमारा मन भी इसी तरह काम कर सकता है। अपने विचारों को देखते हुए आपके मन में भी ख्याल आ सकता है: “जरा रुको, कौन है जो विचारों को देख रहा है?” अापके मन के साथ विचारों का टकराव भी हो सकता है। ऐसे में अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें अौर जो हो रहा है उसे ऐसे ही होने दें।

यह काम रोज कीजिए, आपको अनुभव हो जाएगा। सिर्फ सोना है, इससे आसान तरीका मैं आपको नहीं दे सकता। बस आप ऐसे ही सो जाएं – जीवन के एक अंश के रूप में बस ऐसे ही सो जाइए, न एक स्त्री के रूप में, न एक पुरुष के रूप में, न इस रूप में न उस रूप में, बस सामान्य रूप से सो जाइए। दरअसल, जब आप सोते हैं तो आप ऐसे ही होते हैं। मैं ये कहना चाहता हूं कि आप जब नींद में प्रवेश करें तब भी आप ऐसे ही रहें। इसके लिए आपको इतना करना है कि जो आपकी स्वाभाविक स्थिति नींद में होने वाली है, वही स्थिति आप सोने से सिर्फ कुछ मिनट पहले तैयार कीजिए। आप देखेंगे कि इसमें कुछ मेहनत लगेगी, लेकिन आप इसे कीजिए। वैसे भी जब आप नींद में होते हैं तो आपके सोने का न कोई चाइनीज तरीका होता है न अंग्रेजी तरीका। आप अंग्रेजी या फ्रेंच में नहीं सोते हैं। जब आप सोते हैं तो ऐसे कि मानो आप कुछ हैं ही नहीं। आप उसी तरह से ‘कुछ हैं ही नहीं’ के अंदाज में नींद के करीब जाइए। जैसा मैंने कहा इस काम में कुछ मेहनत लगेगी, लेकिन इसे आज से ही करना शुरू कर दीजिए, क्योंकि कल के बारे में कौन जानता है?

ध्यान करने के लिए शुरुआती तत्व – ध्यान क्या है? ध्यान कैसे करना चाहिए

1.श्वास की गति, 2.मानसिक हलचल 3. ध्यान का लक्ष्य और 4.होशपूर्वक जीना। उक्त चारों पर ध्यान दें तो तो आप ध्यान करना सीख जाएंगे। > श्वास की गति का महत्व : योग में श्वास की गति को आवश्यक तत्व के रूप में मान्यता दी गई है। इसी से हम भीतरी और बाहरी दुनिया से जुड़े हैं। श्वास की गति तीन तरीके से बदलती है- 1.मनोभाव, 2.वातावरण, 3.शारीरिक हलचल। इसमें मन और मस्तिष्क के द्वारा श्वास की गति ज्यादा संचालित होती है। जैसे क्रोध और खुशी में इसकी गति में भारी अंतर रहता है।> श्वास की गति से ही हमारी आयु घटती और बढ़ती है। श्वास को नियंत्रित करने से सभी को नियंत्रित किया जा सकता है। इसीलिए श्वास क्रिया द्वारा ध्यान को केन्द्रित और सक्रिय करने में मदद मिलती है। ध्यान करते समय जब मन अस्थिर होकर भटक रहा हो उस समय श्वसन क्रिया पर ध्यान केन्द्रित करने से धीरे-धीरे मन और मस्तिष्क स्थिर हो जाता है और ध्यान लगने लगता है। ध्यान करते समय गहरी श्वास लेकर धीरे-धीरे से श्वास छोड़ने की क्रिया से जहां शरीरिक और मानसिक लाभ मिलता है, वहीं ध्यान में गति मिलती है।

खुद को परमपिता या परमशक्ति के अंश के रूप में अनुभव करना – Becoming one with God :
यह संसार उर्जा के अलग अलग रूपों की अभिव्यक्ति है. इस ब्रह्मांड में एक परम उर्जा या शक्ति का अस्तित्व है जोकि हमारा, सभी जीव जन्तु प्राणियों का और इस दुनिया का नियमित संचालन कर रही है.

हम भी उसी असीम ऊर्जा (Infinite energy source) का एक भाग है और उससे जुड़े हुए हैं. अपने आप को उस परम स्रोत का अंश मानने से हमें अपनी असीम क्षमता और संभावनाओ का अनुभव होता है.

ध्यान शुरू करते समय परमपिता/परमशक्ति से प्रार्थना की जाती है कि हमारा ध्यान सफल हो, हमें अपने दिव्य वास्तविक स्वरुप का अनुभव हो.

विचारो पर नियंत्रण कैसे करें – Focus your mind :
अक्सर ही मन में विचारों की एक Chain चलती रहती है. एक विचार अगले विचार को जन्म देता है और हमारा दिमाग इसी में व्यस्त रहता है. ध्यान विधियों में कहा गया है विचारो की गति को रोकें, विचार मुक्त होने का प्रयास करें.

इसके लिए जब मन में विचार आयें तो उन्हें आने-जाने दें, उनमे खोयें या उलझे नहीं. बस एक दर्शक की तरह विचारो के प्रवाह को देखें. किसी विचार को पकड़ कर उसे स्पीड न दें.

इससे धीरे धीरे विचार की गति धीमी होती जाएगी और कम विचार आयेंगे. मन को एकदम विचार मुक्त करने में कितना समय लगेगा ? यह आपके इच्छाशक्ति और प्रयास की गंभीरता पर निर्भर करता है.

यही ध्यान (मेडिटेशन) की गहराई में जाने का रास्ता है. इसलिए धैर्य, लगन और पॉजिटिव सोच के साथ प्रयास करते रहें.

सांस लेना- आराम की अवस्था को हासिल करने के बाद अपने सांस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान दें। अपने शरीर को प्राकृतिक रूप से सांस लेने के लिए प्रेरित करें। इसके बात धीरे-धीरे गहरी सांस लें और फिर उसे उसी प्रकार बाहर निकालें। ध्यान के लाभ को हासिल करने के लिए इस क्रिया को पूरे मन से कई बार दोहराएं।
किसी एक बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करें- तीसरे चरण में अब अपना ध्यान किसी एक बिंदु पर केंद्रित करने का प्रयास करें। इसके लिए आप अपनी आत्मा या अंतर्मन पर ध्यान केंद्रित करें। इसके लिए आप एक से पांच तक गिनती करें। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराएं। वहीं, आप किसी ऐसी चीज या विचार पर भी ध्यान केंद्रित करने का प्रयास कर सकते हैं, जो आपको सुख का अनुभव देता हो।

निराकार के उपासक को साकारका तत्व जानना चाहिए
निराकार का ध्यान करने वाले,
यदि साकारका तत्त्व समझकर,
परमात्माको सर्वदेशी, विश्वरूप मानते हुए,
निराकारका ध्यान करें तो फल शीघ्र होता है।
साकारका तत्त्व न समझनेसे,
कुछ विलम्बसे सफलता होती है।

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