(1) एक बार भगवान और रजनीकांत में लड़ाई हुई। नतीजा?? आज भगवान ऊपर हैं.. !!
(2) कौरव और पांडव बीच बड़ा ही घमासान युद्ध चल रहा था कि तभी दुर्योधन की नज़र पांडवों के पीछे खड़े आदमी पर पड़ी। दुर्योधन: चल यार युधिष्ठिर बाय यार हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ।
युधिष्ठिर: क्या हुआ?
…
दुर्योधन: नहीं यार बस बाय, ले यार तू अपना हस्तिनापुर भी वापस ले ले, और द्रौपदी भाभी से हम खुद जाकर सॉरी कह देंगे, हमने नहीं लड़ना तुम्हारे साथ, तू खुश रह।
युधिष्ठिर: अबे रुक तो सही?
दुर्योधन: नहीं यार भाई बस माफ़ कर तू हमें और जाने दे।
युधिष्ठिर: यार दुर्योधन भाई नहीं है तू मेरा बता तो सही हुआ क्या?
दुर्योधन: कुछ नहीं यार भाई बात ही खत्म, ना कोई चिंता ना कोई फ़िक्र मज़े ही मज़े।
युधिष्ठिर: नहीं पहले बता प्लीज़, तुझे मेरी कसम क्या हुआ बता ना?
दुर्योधन: बस रहने दे यार, साला ज़रा सी बात थी और तूने रजनीकांत को बुला लिया।
(3) एक किसान ने अपने मक्के के खेत में कौवे उड़ने के लिए रजनीकांत की तस्वीर चिपका दी। नतीजा यह हुआ कि कौवे अगले ही दिन मक्की के वे दाने भी वापस ले आए, जो वे पिछले साल लेकर गए थे।
(4) संता: आज एक रजनीकांत का चुटकुला सुनाओ यार.
बंता: अच्छा तो सुन:
बारिश हुई और हम भीग गए, बारिश हुई और हम भीग गए,
वाह वाह बारिश हुई और हम भीग गए,
और आगे क्या होना था? ? ? रजनीकांत ने फूंक मारी और हम सूख गए.
(5) एक दिन रजनीकांत उठे और सोचा कि उन्हें कम से कम अपनी नॉलेज का एक परसेंट हिस्सा तो दुनिया के साथ शेयर करना ही चाहिए…. और इसी के बाद गूगल का जन्म हुआ।
(6) रजनीकांत – हैलो, मैं रजनीकांत बोल रहा हूँ ?
लड़का – हां पता है… बोलिए?
रजनीकांत – तुझे कैसे पता की मैंने कॉल किया है..?
लड़का – मोबाइल स्विच ऑफ था मेरा!
—– रजनीकांत कुछ भी कर सकता है बॉस—-
(7) रजनीकांत और केजरीवाल की मुलाकात हो जाती है..!
रजनीकांत:
मेरे गाँव में लाइट नहीं थी..!
मैं अगरबत्ती जलाकर उसकी रौशनी में पढ़ता था ।
केजरीवाल:
हमारे गाँव में भी बिजली नहीं थी
और हमारे पास अगरबत्ती के पैसे भी नहीं थे..!
फिर भी मैं पढ़ा ।
रजनीकांत: कैसे..?
केजरीवाल:
मेरा एक दोस्त था प्रकाश.. उसे पास बिठा कर पढता था।
एक दिन प्रकाश भीग गया वो नहीं आया फिर भी मैं पढ़ा ।
रजनीकांत: कैसे..?
केजरीवाल:
गाँव में ज्योति नाम की लड़की भी तो थी ।
उसके पास बैठ कर।
रजनीकांत बेहोश..
आज तक के इतिहास मे पहली बार कोई रजनीकांत पर भारी पड़ा है..!!!!!
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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