भाई-भतीजावाद अर्थ, निबंध इन हिंदी : Nepotism
in Hindi Meaning
भाई-भतीजावाद अथवा नेपोटिज़्म (Nepotism) दोस्तवाद के बाद आने वाली एक राजनीतिक शब्दावली है जिसमें योग्यता को नजर अन्दाज करके अयोग्य परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर दिया जाता है। नेप्टोइज्म शब्द की उत्पत्ति कैथोलिक पोप और बिशप द्वारा अपने परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर देने से हुई। बाद में इस धारणा को राजनीति, मनोरंजन,व्यवसाय और धर्म सम्बन्धी क्षेत्रों में भी बल मिलने लगा।
नेपोटिज्म क्या है? Nepotism Definition in Hindi
‘नेपोटिज़्म’ अंग्रेज़ी भाषा का शब्द है। हिंदी भाषा में इसका अर्थ है: ‘भाई-भतीजावाद’, ‘रिश्तेदारों को तरज़ीह देना’ , ‘रिश्तेदारों को अनैतिक फ़ायदा पहुँचाना’।
नेपोटिज़्म शब्द का उपयोग अपनी शक्ति का उपयोग करने और परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों को अनैतिक लाभ प्रदान करने के लिए किया जाता है।
अगर हम भारतीय समाज में मौजूद नेपोटिज़्म पर बात करे लेकिन आर्थिक असमानता और जाति पर बात नहीं करें तो इसका मतलब है कि हम नेपोटिज़्म की बहस को सार्थकता में नहीं ढाल रहे हैं, न ही इसकी सबसे मजबूत जड़ पर हमला कर रहे हैं।
भारत में यह शब्द उन राजनेताओं के लिए प्रयोग किया जाता है जो अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों को (ये कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अयोग्य को योग्य बनाकर, और ज़ाहिर है योग्य व्यक्ति इससे वंचित रह जाते हैं।) नौकरी पाने में मदद करते हैं या अपनी राजनैतिक शक्ति अथवा पहुँच का प्रयोग करके अनुचित व्यवहार करते हैं।
निपोतिज्म का प्रयोग कहाँ-कहाँ कर सकते हैं? नेपोटिज्म मीनिंग इन हिंदी
भाई भतीजावाद या फिर पक्षपात में हम देखते हैं कि कई बार किसी राजनीतिक पार्टी या किसी इंडस्ट्री में वहां पर उनके परिवार के बाद आने वाले उनके बच्चे या फिर उनकी पीढ़ी उनकी वजह से अपना हक़ दिखाने लग जाते हैं। हम इसे भाई भतीजावाद कह सकते हैं।
कई बार हम देखते हैं कि कहीं पर कोई रिजल्ट दिया जाता है या फिर कोई अवार्ड दिया जाता है तो भाई भतीजावाद के कारण सारा श्रेय कोई और ले जाता है, बजाय उनके जो उसके सही हकदार हो। अगर किसी को वो अवार्ड मिलना हो और उसे ना मिले तो उसे भी हम पक्षपात कह सकते हैं।
भाई-भतीजावाद अथवा नेपोटिज़्म (Nepotism) दोस्तवाद के बाद आने वाली एक राजनीतिक शब्दावली है जिसमें योग्यता को नजर अन्दाज करके संबंधों के आधार पर परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर दिया जाता है या उन्हें वे तमाम अवर दिए जाते हैं जिनसे उनका कॅरियर ग्राॅफ ऊपर उठता है।
बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बहुत चर्चा हुई है, कई सिलेब्रिटीज ने इस पर अपना बयान दिया। धीरे-धीरे नेपोटिज्म की यह बहस बाॅलीवुड से निकलकर दूसरे कई रचनात्मक गलियारों में पहुंच रही है। साहित्य भी इससे अछूता नहीं है। पिछले दिनों अमर उजाला ने सोशल मीडिया पर लोगों का मत जानने के लिए एक सवाल किया- ‘क्या आपको लगता है कि बॉलीवुड की ही तरह कवि और लेखक भी खेमों और गुटों में बंटे हुए हैं? यहां भी ‘नेपोटिज़्म’ है?’
74.2 प्रतिशत लोगों ने ‘हां’ कहा और 25.8 प्रतिशत लोगों ने ‘ना’ में उत्तर दिया। कुछ लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी तो कुछ ने अपने विचार रखे। पार्थ भट्ट मेवाड़ लिखते हैं कि- ‘लोकतांत्रिक समाज हमेशा बंटता है, किसी का कुछ विचार होता है तो किसी का कुछ।’
नेपोटिज्म किसे कहते हैं? नेपोटिज्म का मतलब – Nepotism in Hindi Essay
नेपोटिज़्म मतलब भाई-भतीजावाद। कोई अगर पूछे कि इसका मतलब क्या होता है? तो अधिकतर लोग समाज में प्रचलित मुहावरे के मुताबिक जवाब देंगे कि जिस तरह से डॉक्टर के लड़के का डॉक्टर बनने का चांस अधिक होता है, इंजीनियर के लड़के का इंजीनियर बनने का चांस अधिक होता है कलेक्टर के लड़के का कलेक्टर बनने का चांस अधिक होता है, नेता के लड़के के नेता के बनने का चांस अधिक होता है, ठीक उसी तरह से एक्टर के लड़के का एक्टर बनने का चांस अधिक होता है। यह तो समाज की रीत है सदियों से चलती आ रही है और सदियों तक चलेगी।
इसी बात को थोड़ा थियोरेटिकल ढंग से समझने की कोशिश करें तो बात यह है कि किसी व्यक्ति के लिए किसी पेशे में जगह बनाने और कामयाबी हासिल करने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब पहले से ही उस पेशे में उस व्यक्ति के परिवार का कोई सदस्य, रिश्ते-नाते का कोई सदस्य, जान पहचान वाला कोई साथी पहले से ही मौजूद हो। अगर इतिहास उठाकर देखा जाए तो दुनिया के तमाम बड़े पदों पर ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जो नेपोटिज़्म यानी भाई-भतीजावाद का समर्थन करते हैं।
या यह कह लीजिए कि दुनिया का नब्बे फीसदी इतिहास नेपोटिज़्म के दास्तान से भरा पड़ा है। राजा, सामंत, मंत्री, सैनिक और उसके बाद लोकतांत्रिक समाज के नेता सबका अधिकतर हिस्सा नेपोटिज़्म की प्रवृत्ति में रचा बढ़ा है। कहने का मतलब यह है कि नेपोटिज़्म किसी खास क्षेत्र तक सीमित नहीं है। केवल बॉलीवुड को ध्यान में रखकर नेपोटिज़्म की बहस की जाएगी तो यह केवल बहस का हिस्सा बन कर रह जाएगा। इसका कोई निष्कर्ष नहीं निकलेगा।
इसलिए अगर हम बड़े ध्यान से देखें तो नेपोटिज़्म के जड़ तक पहुंच सकते हैं। नेपोटिज़्म की जड़ यह है कि दुनिया में काबिल कौन है? इसका पता लगाना बहुत मुश्किल काम है। क्योंकि काबिलियत बनाने या काबिलियत से दूर रखने के पीछे बहुत सारी वजहें काम करती हैं। सबसे पहली वजह तो यह है कि दुनिया में संसाधनों का बराबर बंटवारा नहीं है। आदर्श तो यह कहता है कि इस दुनिया में कोई जन्म लेते ही इस बात का अधिकारी बन जाता है कि वह गरिमा पूर्ण जिंदगी जी सके। उसे वह सारा माहौल मिले जिसकी मदद से वह अपनी सारी संभावनाएं हासिल कर सके। लेकिन ऐसा होता नहीं है। कईयों के पास इतनी अधिक सुख सुविधाएं होती हैं कि वह जीवन का मर्म ही नहीं समझ पाते। और कईयों की जिंदगी इतनी बदतर होती है कि वह जिंदगी ही नहीं जी पाते।
पैसे और पूंजी के बलबूते यह गैर बराबरी और गहरी होती जा रही है। इस घनघोर गैर बराबरी वाली दुनिया में बहुतों के लिए काबिलियत हासिल कर पाना ही नामुमकिन होता है। इसलिए अगर यह कहा जाए कि समाज के भीतर की नाइंसाफियों इतनी गहरी हैं कि वह स्वाभाविक तौर पर सबके लिए काबिल होने का माहौल नहीं गढ़ पाती हैं तो इसमें कोई गलत बात नहीं होगी।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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