कपालभाति क्या है?(What is Kapalbhati)
कपालभाति योग प्रणाली प्राणायाम का एक हिस्सा है जिसे शरीर की सफाई की जाती है। कपालभाती शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है: कपाल का अर्थ है ‘माथा’ और भाति का अर्थ है ‘तेज’। कपालभाति का अभ्यास करने से चेहरा पर चमक से उत्पन्न तेज रहता है। प्रक्रिया के कारण मस्तिष्क अच्छे तरह से प्रभावित होते हैं। कपालभाती में छोटी और मजबूत बलवर्धक साँसें शामिल हैं ।
कपालभाति योग के नियम(Kapalbhati Yoga rules)
अगर आप यह प्राणायाम करते है तो आपको कुछ सावधानी भी रखनी होती है। आइये जानते है Kapalbhati Ki Simaye क्या है।
खाना खाने के तुरंत बाद और 4 घंटे बाद तक कपालभाति प्राणायाम करना नुकसानदायक हो सकता है।
गर्भावस्था के समय और गर्भावस्था के बाद यह प्राणायाम ना करे। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान भी कपालभाति प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
उच्च रक्त चाप, चक्कर आना, हर्निया, मिर्गी, दौरे आना, ह्रदय रोग और आमाशय की अल्सर के मरीज़ Kapalbhati Kriya ना करे।
यदि आपको कमर दर्द की बीमारी है तो चिकित्सक की सलाह लेने के बाद ही Kapalbhati करे।
अगर आप यह प्राणायाम करते है तो आपको यह ज़रुर पता होना चाहिए की कपालभाति कब करे क्योंकि हर किसी समय पर इस प्राणायाम को करने के कोई फायदे प्राप्त नहीं होते है।
Kapalbhati Karne Ka Samay सुबह का होना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर खाली पेट इस प्राणायाम को करे।
कपालभाति प्राणायाम के फायदे व लाभ(Benefits Of Kapalbhati Pranayama)
कपालभाति का मुख्य गुण यह है कि इसको करने से शारीरिक लाभ के साथ साथ आध्यात्मिक लाभ मिलता है। साथ साथ यह ध्यान शक्ति भी बढ़ा देता है। और कपालभाति करने वाले व्यक्ति को आम बीमारियाँ छू नहीं पाती हैं।
मानसिक तनाव (Depression) और दमे की बीमारी कपालभाति करने से दूर हो जाती हैं। चंचल मन वाले व्यक्ति हमेशा हड़बड़ी में फैसले ले कर अपना नुकसान कर बैठतें हैं, कपालभाति प्राणायाम इन प्रकार के लोगों को चित्त शांत करने में मददगार साबित होता है।
कपालभाति करने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं और निर्णयशक्ति बढ़ती है। नित्य कपालभाति प्राणायाम करने से व्यक्ति के मुख पर एक अनोखा तेज आ जाता है। और यह प्राणायाम चहेरे की सुंदरता(Fairness) भी बढ़ाता है।
कफ की बीमारी कपालभाति करने से दूर हो जाती है। कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों की बीमारी को दूर कर देता है तथा यह व्यायाम स्वस्थ फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
कपालभाती कैसे करे: विधि(How to do Kapalbhati: Steps)
कपलभाटी की शुरुवात करने से पहले जाने की आपको शुबह बिना खाए ये एक्सर्साइज़ करना है। इस एक्सर्साइज़ को आप खुली हवा में कर सकते हैं।
Step 1: एक समतल जगह जहाँ अच्छी शुद्ध हवा आ रही हो, वहां पर चटाई बिछाकर बैठ जाएँ।
Step 2: अब आप सिद्धासन, पध्माशन या बज्रासन में बैठ सकते है। ऐसा नहीं है कि आपको इन तीनो में से एक पर बैठना है, आप चाहे कैसे भी बैठे जैसा आपको बेस्ट लगे।
Step 3: अब आप घुटनों पर हाथ रखिए और अपनी साँस के आने जाने पर ध्यान दीजिए। अगर आपको नीचे बैठने की आदत नहीं है तो आप कुर्शी पर भी बैठ सकते हैं।
Step 4: अब आप अपने नाक से साँस को बाहर छोड़कर की क्रिया करें जो आप रोज करते है, साँस को बाहर छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर धक्का दें।
1928 की उस घटना के लिए सुखदेव का नाम प्रमुखता से जाना जाता है, जब क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए गोरी हुकूमत के कारिंदे पुलिस उपाधीक्षक जेपी सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था और पूरे देश में क्रांतिकारियों की जय-जय कार हुई थी।
सांडर्स की हत्या के मामले को ‘लाहौर षड्यंत्र’ के रूप में जाना गया। ब्रितानिया हुकूमत को अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों से दहला देने वाले राजगुरु, सुखदेव और भगत सिंह को मौत की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारी हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और देश के युवाओं के मन में आजादी पाने की नई ललक पैदा कर गए।
सुखदेव मात्र 24 साल की उम्र में जब इस दुनिया से विदा हो गए। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सुखदेव थापर एक ऐसा नाम है जो न सिर्फ अपनी देशभक्ति, साहस और मातृभूमि पर कुर्बान होने के लिए जाना जाता है, बल्कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह के अनन्य मित्र के रूप में भी उनका नाम इतिहास में दर्ज है।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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