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History of India in Hindi: भारत का इतिहास क्या है?

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भारत का इतिहास क्या है? What is History of India in Hindi

भारत का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता है। 65,000 साल पहले, पहले आधुनिक मनुष्य, या होमो सेपियन्स, अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुंचे थे, जहां वे पहले विकसित हुए थे। सबसे पुराना ज्ञात आधुनिक मानव आज से लगभग 30,000 साल पहले दक्षिण एशिया में रहता है। 6500 ईसा पूर्व के बाद, खाद्य फसलों और जानवरों के वर्चस्व के लिए सबूत, स्थायी संरचनाओं का निर्माण और कृषि अधिशेष का भंडारण मेहरगढ़ और अब बलूचिस्तान के अन्य स्थलों में दिखाई दिया। ये धीरे-धीरे सिंधु घाटी सभ्यता में विकसित हुए, दक्षिण एशिया में पहली शहरी संस्कृति, जो अब पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में २५००-१९ ०० ई.पू. के दौरान पनपी। मेहरगढ़ पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है जहां नवपाषाण युग (७००० ईसा-पूर्व से २५०० ईसा-पूर्व) के बहुत से अवशेष मिले हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता, जिसका आरम्भ काल लगभग ३३०० ईसापूर्व से माना जाता है, प्राचीन मिस्र और सुमेर सभ्यता के साथ विश्व की प्राचीनतम सभ्यता में से एक हैं। इस सभ्यता की लिपि अब तक सफलता पूर्वक पढ़ी नहीं जा सकी है। सिन्धु घाटी सभ्यता वर्तमान पाकिस्तान और उससे सटे भारतीय प्रदेशों में फैली थी। पुरातत्त्व प्रमाणों के आधार पर १९०० ईसापूर्व के आसपास इस सभ्यता का अकस्मात पतन हो गया।

१९वी शताब्दी के पाश्चात्य विद्वानों के प्रचलित दृष्टिकोणों के अनुसार आर्यों का एक वर्ग भारतीय उप महाद्वीप की सीमाओं पर २००० ईसा पूर्व के आसपास पहुंचा और पहले पंजाब में बस गया और यहीं ऋग्वेद की ऋचाओं की रचना की गई। आर्यों द्वारा उत्तर तथा मध्य भारत में एक विकसित सभ्यता का निर्माण किया गया, जिसे वैदिक सभ्यता भी कहते हैं। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारंभिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म “वैदिक धर्म” या “सनातन धर्म” के नाम से प्रसिद्ध था, बाद में विदेशी आक्रांताओं द्वारा इस धर्म का नाम हिन्दू पड़ा।

सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन & प्रमुख स्थल

भारत का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्‍यता के जन्‍म के साथ आरंभ हुआ, और अधिक बारीकी से कहा जाए तो हड़प्‍पा सभ्‍यता के समय इसकी शुरूआत मानी जाती है। यह दक्षिण एशिया के पश्चिमी हिस्‍से में लगभग 2500 बीसी में फली फूली, जिसे आज पाकिस्‍तान और पश्चिमी भारत कहा जाता है। सिंधु घाटी मिश्र, मेसोपोटामिया, भारत और चीन की चार प्राचीन शहरी सबसे बड़ी सभ्‍यताओं का घर थी। इस सभ्‍यता के बारे में 1920 तक कुछ भी ज्ञात नहीं था, जब भारतीय पुरातात्विक विभाग ने सिंधु घाटी की खुदाई का कार्य आरंभ किया, जिसमें दो पुराने शहरों अर्थात मोहन जोदाड़ो और हड़प्‍पा के भग्‍नावशेष निकल कर आए। भवनों के टूटे हुए हिस्‍से और अन्‍य वस्‍तुएं जैसे कि घरेलू सामान, युद्ध के हथियार, सोने और चांदी के आभूषण, मुहर, खिलौने, बर्तन आदि दर्शाते हैं कि इस क्षेत्र में लगभग पांच हजार साल पहले एक अत्‍यंत उच्‍च विकसित सभ्‍यता फली फूली।

सिंधु घाटी की सभ्‍यता मूलत: एक शहरी सभ्‍यता थी और यहां रहने वाले लोग एक सुयोजनाबद्ध और सुनिर्मित कस्‍बों में रहा करते थे, जो व्‍यापार के केन्‍द्र भी थे। मोहन जोदाड़ो और हड़प्‍पा के भग्‍नाव‍शेष दर्शाते हैं कि ये भव्‍य व्‍यापारिक शहर वैज्ञानिक दृष्टि से बनाए गए थे और इनकी देखभाल अच्‍छी तरह की जाती थी। यहां चौड़ी सड़कें और एक सुविकसित निकास प्रणाली थी। घर पकाई गई ईंटों से बने होते थे और इनमें दो या दो से अधिक मंजिलें होती थी।

ईसा पूर्व 3500-2800 का एक टेराकोटा बर्तन

ऊपर तस्वीर में दिख रहा ‘बलूचिस्तान पॉट’ (3500-2800 ईसा पूर्व) टेराकोटा से निर्मित है. यह मेहरगढ़ में मिला था. अब पाकिस्तान में स्थित बलूचिस्तान प्रांत में स्थित नवपाषाण स्थल है. इस क्षेत्र में मिले अन्य बर्तनों की तरह ही यह कई रंगों से रंगा है. कई रंगों में रंगने की कला प्राचीन संस्कृति में आम थी.

खाना पकाने और सामान रखने के साथ ही इनका इस्तेमाल पारंपरिक रस्मों में भी किया जाता था. ऐसे मर्तबान कब्र में भी पाए गए.

सिकन्‍दर का आक्रमण

ईसा पूर्व 326 में सिकंदर सिंधु नदी को पार करके तक्षशिला की ओर बढ़ा व भारत पर आक्रमण किया। तब उसने झेलम व चिनाब नदियों के मध्‍य अवस्थ्ति राज्‍य के राजा पौरस को चुनौती दी। यद्यपि भारतीयों ने हाथियों, जिन्‍हें मेसीडोनिया वासियों ने पहले कभी नहीं देखा था, को साथ लेकर युद्ध किया, परन्‍तु भयंकर युद्ध के बाद भारतीय हार गए। सिकंदर ने पौरस को गिरफ्तार कर लिया, तथा जैसे उसने अन्‍य स्‍थानीय राजाओं को परास्‍त किया था, की भांति उसे अपने क्षेत्र पर राज्‍य करने की अनुमति दे दी।

गुप्‍त साम्राज्‍य

कुशाणों के बाद गुप्‍त साम्राज्‍य अति महत्‍वपूर्ण साम्राज्‍य था। गुप्‍त अवधि को भारतीय इतिहास का स्‍वर्णिम युग कहा जाता है। गुप्‍त साम्राज्‍य का प‍हला प्रसिद्ध सम्राट घटोत्‍कच का पुत्र चन्‍द्रगुप्‍त था। उसने कुमार देवी से विवा‍ह किया जो कि लिच्छिवियों के प्रमुख की पुत्री थी। चन्‍द्रगुप्‍त के जीवन में यह विवाह परिवर्तन लाने वाला था। उसे लिच्छिवियों से पाटलीपुत्र दहेज में प्राप्‍त हुआ। पाटलीपुत्र से उसने अपने साम्राज्‍य की आधार शिला रखी व लिच्छिवियों की मदद से बहुत से पड़ोसी राज्‍यों को जीतना शुरू कर दिया। उसने मगध (बिहार), प्रयाग व साकेत (पूर्वी उत्‍तर प्रदेश) पर शासन किया। उसका साम्राज्‍य गंगा नदी से इलाहाबाद तक फैला हुआ था। चन्‍द्रगुप्‍त को महाराजाधिराज की उपाधि से विभूषित किया गया था और उसने लगभग पन्‍द्रह वर्ष तक शासन किया।

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