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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध Essay on Global Warming in Hindi

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Global Warming Essay in Hindi ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

मानव अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए ही इस धरती पर कहर ढा रहा है, 18 वीं शताब्दी की शुरुआत से लोगों ने बड़ी मात्रा में कोयले और तेल को जलाना शुरू किया और इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में लगभग 30% की वृद्धि हुई और एक चौंकाने वाला डेटा दुनिया के सामने आया, औसत वैश्विक तापमान 1% बढ़ रहा है, हाल ही में ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के लिए चिंता का विषय बन गया है, पृथ्वी का तापमान दैनिक आधार पर बढ़ रहा है. उसी के परिणामस्वरूप, ग्लेशियर पिघलना शुरू हो रहे हैं, हम जानते हैं कि यदि ग्लेशियर पिघलते हैं, तो पूरी पृथ्वी पानी के नीचे होगी. वनों की कटाई, पर्यावरण प्रदूषण, ग्रीनहाउस गैसों आदि जैसे विभिन्न कारक ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार हैं, पृथ्वी को आसन्न आपदा से बचाने के लिए इसे जल्द से जल्द रोका जाना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग आज के परिवेश में एक प्रमुख मुद्दा है। यह पृथ्वी के तापमान के औसत तापमान में वृद्धि की घटना है। यह कोयले के जलने से जारी कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य जीवाश्म ईंधन की बढ़ती मात्रा, वनों की कटाई और विभिन्न मानवीय गतिविधियों का अभ्यास करने के कारण होता है, ग्लोबल वार्मिंग ग्लेशियरों को पिघलाने के लिए ले जाता है, जो पृथ्वी की जलवायु स्थिति को बदलता है और साथ ही साथ विभिन्न स्वास्थ्य खतरों का कारण बनता है। यह पृथ्वी पर कई प्राकृतिक आपदाओं को भी आमंत्रित करता है, बाढ़, सूखा, मिट्टी का क्षरण आदि सभी ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव हैं जो हमारे जीवन के लिए आसन्न खतरे का संकेत देते हैं।

हालांकि इसके अलग-अलग प्राकृतिक कारण हो सकते हैं, ग्लोबल वार्मिंग के लिए मानव भी जिम्मेदार है। बढ़ती आबादी पर्यावरण से अधिक से अधिक संसाधन अपने जीवन को आसान और आरामदायक बनाना चाहती है। संसाधनों का उनका असीमित उपयोग संसाधनों को सीमित बना रहा है। पिछले दशक में, हमने पृथ्वी में बहुत सारे असामान्य जलवायु परिवर्तन देखे हैं। यह माना जाता है कि ये सभी परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के कारण होते हैं। जितनी जल्दी हो सके हमें ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के उपाय करने चाहिए। वनों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित किया जाना चाहिए, ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाए जाने चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है, और इसका हमरी पृथ्वी वर्तमान समय में सामना कर भी रही है. हमारे ग्लोब का तापमान हर गुजरते दिन उच्च होता जा रहा है. इसके लिए अलग-अलग कारक जिम्मेदार हैं. लेकिन ग्लोबल वार्मिंग का पहला और प्रमुख कारण ग्रीनहाउस गैसें हैं. वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस के बढ़ने के कारण पृथ्वी का तापमान चढ़ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग इस पृथ्वी में जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है. वायुमंडल और अन्य ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ी मात्रा जो जीवाश्म ईंधन के जलने और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण उत्सर्जित होती है, ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण कहे जाते हैं. कुछ वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि पृथ्वी की सतह का तापमान अगले आठ से दस दशकों में 1.4 से 5.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है. ग्लोबल वार्मिंग ग्लेशियरों के पिघलने के लिए जिम्मेदार है, ग्लोबल वार्मिंग का एक और सीधा प्रभाव पृथ्वी में असामान्य जलवायु परिवर्तन है. आजकल तूफान, ज्वालामुखी विस्फोट, चक्रवात इस धरती में कहर ढा रहे हैं। पृथ्वी में तापमान के परिवर्तन के कारण, प्रकृति असामान्य तरीके से व्यवहार कर रही है. इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि यह खूबसूरत ग्रह हमेशा हमारे लिए एक सुरक्षित स्थान बना रहे।

मानव पर ग्लोबल वार्मिंग के हानिकारक प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को हमारे द्वारा वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी, पृथ्वी पर तापमान में वृद्धि, गर्मी की तरह मौसम में अस्थिरता और सर्दियों के मौसम में कमी के साथ-साथ पूरे वर्ष में अनिश्चित वर्षा के मौसम को आसानी से देखा या महसूस किया जा सकता है, इनके अलावा, ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई अन्य मुद्दे उत्पन्न होते हैं जैसे कि अनिश्चित वर्षा के मौसम के कारण सूखा और कुछ समय में निचले स्तर के तटीय क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।

ह्यूमन बीइंग द्वारा ग्लोबल वार्मिंग का समाधान

यह समस्या इतनी बड़ी है कि अगर हम अभी भी इस पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, तो इसके परिणाम भविष्य में हमारे लिए बहुत खतरना हो सकते है। प्राकृतिक संसाधनों के संबंध में किसी प्रकार की थोड़ी सुरक्षा या देखभाल ग्लोबल वार्मिंग की इस समस्या का बेहतर समाधान साबित हो सकती है जैसे

  • जितना संभव हो सके, वृक्षारोपण इस समस्या को जड़ से हल कर सकता है क्योंकि पौधे अधिक से अधिक वातावरण में ऑक्सीजन का उत्पादन करते हैं।
  • सीमित तरीके से बिजली का उपयोग करना बेहतर है ताकि बिजली का उत्पादन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्राकृतिक संसाधनों को भविष्य में कोयला और पानी की तरह बचाया जा सके, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा या जल विद्युत जैसी नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने का प्रयास करें।
  • ग्लोबल वार्मिंग के इस मुद्दे को रोकने के लिए हमें प्राकृतिक संसाधनों की अधिक सार्वजनिक खपत के रूप में जनसंख्या पर नियंत्रण करने की आवश्यकता है।
  • ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति को रोकने के लिए औद्योगीकरण और शहरीकरण पर नियंत्रण करना अत्यधिक आवश्यक है।

ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी समस्या है जो पूरे विश्व के सभी देशों को अपनी चपेट में लिए हुए है. वैज्ञानिकों ने इसकी गंभीरता को देखते हुए देशों को आने वाले भयंकर संकट के बारे में कई बार अवगत कराया है.
कुछ देशों ने तो इसको गंभीरता से लेते हुए इसके निवारण के लिए कार्य करने शुरू कर दिए हैं, लेकिन कुछ देशों में अभी भी लोग अज्ञानता में ही जी रहे हैं और इसको नज़रअंदाज़ करते जा रहे हैं.
वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से बताया है कि अगर पृथ्वी पर प्रलय आई तो उसका मुख्य कारण होगा- ग्लोबल वार्मिंग.
 

ग्लोबल वार्मिंग क्या है..??

इस पृथ्वी का वायुमंडल मानव और जीव- जंतुओं के जीवन के लिए अनुकूल है. वायुमंडल के बिना ये धरती जीवन रहित हो जाएगी.
पृथ्वी का वायुमंडल अनेक प्रकार की गैसों का मिश्रण है जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बनडाई ऑक्साइड आदि.
जब वायुमंडल में कार्बन और कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगती है तो वायुमंडल का तापमान स्वतः ही बढ़ने लगता है.
वायुमंडल में हुई कार्बन और कार्बनडाई ऑक्साइड की बढ़ती मात्रा से तापमान में हुई वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है.
 
ग्लोबल है : पृथ्वी और वार्मिंग का अर्थ है : गर्मी.
पृथ्वी के वायुमंडल के तापमान में लगातार वृद्धि को ही ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है.

Best Essay on Global Warming in Hindi ग्लोबल वार्मिंग निबंध
 

ग्लोबल वार्मिंग के कारण
 

 
1). प्रदूषण
वायुमंडल के लगातार तापमान वृद्धि का मुख्य कारण प्रदूषण है. जैसा कि हम जानते हैं कि प्रदूषण भी कई प्रकारों से हो सकता है – वायु, जल, मृदा ध्वनि प्रदूषण आदि.
वायुमंडल से वातावरण में लगातार धुंआ, कार्बन, जहरीली गैसें, कार्बनडाई ऑक्साइड आदि गैसों की मात्रा में वृद्धि हो रही है, जिससे ऑक्सीजन, नाइट्रोजन जैसी गैसों की कमी के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ती जा रही है.
 
2). ग्रीन हाउस गैसें
ग्लोबल वार्मिंग के लिए ग्रीन हाउस गैसों का भी काफी बड़ा योगदान है. ये वे गैसें हैं, जिनका इस्तेमाल अत्यधिक सर्द (बर्फीले) वाले इलाकों में पेड़- पौधे उगाने के लिए किया जाता है.
सार्ड इलाकों में पौधों को ठण्ड से बचाने के लिए उनको कांच के घरों में बंद कर दिया जाता है, और ग्रीन हाउस गैसों को उस कांच के घर के अंदर भर दिया जाता है.
इस गैसों की ख़ास विशेषता ये होती है कि ये गैसें सूर्य की गर्मी को अपने अंदर अवशोषित कर लेती हैं.
ऐसे ही हमारी पृथ्वी पर भी ग्रीन हाउस गैसें हैं जो कि सूर्य की गर्मी को अपने अंदर सोख लेती हैं और वातावरण का तापमान बढ़ा देती हैं.
अगर इन ग्रीन हाउस गैसों को वातावरण से हटा दिया जाए तो काफी तापमान वृद्धि को रोका जा सकता है.
 
3). जनसंख्या वृद्धि
भारत और चीन जनसँख्या वृद्धि में सर्वप्रथम स्थान पर हैं और यही कारण है कि इन देशों में सर्दियों के महीने लगातार कम होते जा रहे हैं.
जनसंख्या की लगातार वृद्धि से कार्बनडाई ऑक्साइड की रही है तापमान में भी वृद्धि होती है.
 
4). औद्यौगीकरण
शहरीकरण को बढ़ावा देते हुए शहरी इलाकों में कंपनियां और कारखाने लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं.
जिसके लिए लोगों ने वनों को और पेड़- पौधों को काटना शुरू कर दिया है. कारखानों की चिमनी से निकलने वाला धुंआ, विषैले रसायन, प्लास्टिक इत्यादि इसके मुख्य कारण हैं.


Best Essay on Global Warming in Hindi ग्लोबल वार्मिंग निबंध

ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
1). ग्लोबल वार्मिंग की वृद्धि से जीव- जंतुओं के रहन- सहन और उनकी प्रतिरोधक क्षमता पर गहरा प्रभाव पड़ता है. जिसके चलते कई जीव- जंतु और पक्षियों की प्रजातियां तक विलुप्त हो चुकी हैं.
 
2). ऐसे इलाके जहाँ पूरे वर्ष भर बर्फ पड़ती है और चारों तरफ बर्फ ही बर्फ जमीं रहती है. ऐसे इलाकों में गर्मी की वजह से बर्फ पिघलने लगती है और जल का स्तर लगातार बढ़ने से बाढ़ की आशंका भी बानी रहती है.
Global Warming: Causes and Remedy
 
3). ग्लोबल वार्मिंग मौसम के बदलाव में भी भूमिका रखता है. कुछ इलाकों में भीषण ठंड, कभी बिन मौसम के बारिश और कही सूखा पड़ता है, जिससे खेतों की फसलों का भारी मात्रा में नुक्सान होता है.
 
4). वायुमंडल में कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा दिन- प्रतिदिन इतनी बढ़ती जा रही है कि शुद्ध ऑक्सीजन में सांस लेना तो अब जैसे सिर्फ कल्पना मात्र ही रह गया है.
 
5). ओज़ोन परत का हास ग्लोबल वार्मिंग से पैदा होने वाला सबसे बड़ा ख़तरा है. लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और कार्बनडाई ऑक्साइड से वायुमंडल की ओज़ोन परत धीरे- धीरे कमजोर होती जा रही है.
जिससे सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी किरणें सीधे पृथ्वी से टकराती हैं, जो कि एक बहुत बड़ा ख़तरा है.
 
ग्लोबल वार्मिंग रोकथाम के उपाय
 

 
1). यातायात के वाहनों द्वारा उत्सर्जित धुआं और जहरीली गैसों पर नियंत्रण
2). ऊर्जा के वैकल्पित स्रोत जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा आदि का ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाए
3). वृक्षारोपण और पेड़ों के कटान पर प्रतिबन्ध, दोनों ही बेहतर विकल्प साबित होते हैं.
4). वायु प्रदूषण रोकने के लिए नए नियम बनाये जाए, पुराने वाहनों के इंजनों का इस्तेमाल ना करें.
 
5). पेट्रोल, कोयला जैसे ईंधनों के उपयोग में कमी करके प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग.
6). जनसँख्या वृद्धि पर नियंत्रण.
7). जल संरक्षण में सहयोग करें.
8). कारखानों से निकलने वाले दूषित पानी को सीधे नहर- नदी में ना छोड़े.
9). घरों और ऑफिस में एयर कंडीशन का उपयोग कम मात्रा में करें. एयर कंडीशनर से निकलने वाली CFC गैस गैस वातावरण में गर्मी का उत्सर्जन करती है.
10). सूर्य अपने आप में अक्षय ऊर्जा का भण्डार है. सौर ऊर्जा को बिजली के रूप में, पावर ग्रिड, सोलर कुकर इत्यादि तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है.
ये एक साफ़ सुथरी ऊर्जा का भण्डार है, जिससे प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है.
 
ग्लोबल वार्मिंग के घातक परिणाम
ग्रीन हाउस गैसें इतनी ज्यादा प्रभावशाली गैसें होती हैं जो वातावरण के तापमान में बहुत तेज़ी के साथ वृद्धि करती हैं.
अगर ऐसे ही चलता रहा तो वैज्ञानिकों के आंकड़े बताते हैं कि 21 वीं शताब्दी में पृथ्वी का तापमान 5 से 9 डिग्री तक और ज्यादा बढ़ सकता है.
ऐसा होने पर कई देशों में तो अकाल और सूखे की स्थिति पैदा हो जाएगी.
कई इलाकों में बर्फ पिघलने से समुद्री जल का स्तर बढ़ जायेगा और चारों तरफ बाढ़ आ जायेगी.
खेतों की फसलें, अनाज सभी ख़त्म होना शुरू हो जाएगा और जब मानव की आखें खुलेंगी तो बहुत देर हो चुकी होगी.
 
ग्लोबल वार्मिंग के प्रति जागरूकता
ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी देशों को एकजुट होकर क़ानून पारित करने चाहिए. लोगों को इसके परिणामों के बारे में अवगत करने के लिए सेमीनार करने चाहिए, ताकि हर व्यक्ति अपने आप जागरूक हो सके.
ये समस्या सिर्फ सरकार की नहीं है, बल्कि उन सभी की है जो इस धरती पर सांस लेते हैं.
जब एक एक व्यक्ति इसके प्रति जागरूक होगा और मन में प्रण करेगा, तभी ग्लोबल वार्मिंग का निवारण संभव है.
 
निष्कर्ष
पृथ्वी का सुंदर और जीवनदायिनी वातावरण प्राणियों के लिए वरदान और अतिआवश्यक है. इसका रख- रखाव और बचाव हम सभी की ही जिम्मेदारी है.
वैसे तो मनुष्य को सबसे बुद्धिजीवी प्राणी कहा जाता है, लेकिन स्वार्थ और लालच के इस दौर में उसने सिर्फ खुद के लिए नहीं, अपितु समस्त जीव- जंतुओं के जीवन को दांव पर लगा दिया है.
इंसान को खुद के गिरेबान में झाँक कर देखने की जरूरत है और साथ ही अपनी गलती सुधारने की भी, अन्यथा परिणाम बहुत भयंकर होगा.

  
उम्मीद करता हूँ कि आपको हमारा ये आर्टिकल “Best Essay on Global Warming in Hindi ग्लोबल वार्मिंग निबंध” आपको पसंद आया होगा.

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