HomeEssay

बढ़ती जनसंख्या पर निबंध & जनसंख्या वृद्धि : Population Essay in Hindi

Like Tweet Pin it Share Share Email

What is Population in Hindi? Essay on Population in Hindi

जीव विज्ञान में, विशेष प्रजाति के अंत: जीव प्रजनन के संग्रह को जनसंख्या कहते हैं; समाजशास्त्र में इसे मनुष्यों का संग्रह कहते हैं। जनसँख्या के अन्दर आने वाला प्रत्येक व्यक्ति कुछ पहलू एक दुसरे से बांटते हैं जो कि सांख्यिकीय रूप से अलग हो सकता है, लेकिन अगर आमतौर पर देखें तो ये अंतर इतने अस्पष्ट होते हैं कि इनके आधार पर कोई निर्धारण नहीं किया जा सकता.

जनसंख्या क्या है? जनसंख्या की परिभाषा

जनसांख्यिकी का प्रयोग विपणन में व्यापक रूप से होता है, ये आर्थिक इकाइयों, जैसे कि खुदरा व्यापारियों, संभावित ग्राहकों से सम्बंधित हैं। उदाहरण के लिए, एक कॉफी की दुकान है जो कि युवाओं को अपना ग्राहक बनाना चाहता है, ऐसा करने के लिए वो क्षेत्रों की जनसांख्यिकी को देखता है ताकि वो युवा दर्शकों को आकर्षित करने में सक्षम हो पाए.

10 फ़रवरी 2018संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना ब्यूरो द्वारा विश्व की जनसंख्या अनुमानित तौर पर 7.432अरबों में है।

संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना ब्यूरो द्वारा प्रकाशित पत्रों के अनुसार, विश्व की जनसंख्या २४ फ़रवरी २००६ को ६.५ अरब (६,५०,००,००,०००) के आंकड़े तक पहुँच गई थी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने अक्टूबर १२, १९९९ को सबसे क़रीबी दिन के तौर पर नामित किया है जिस दिन विश्व की जनसँख्या ६ अरब तक पहुँच गई थी। यह १९८७ में विश्व जनसंख्या के ५ अरब तक पहुँचने के लगभग १२ साल बाद और १९९३ में विश्व जनसंख्या के ५.५ अरब तक पहुँने के ६ साल बाद हुआ। हालाँकि, नाइजीरिया और चीन जैसे कुछ देशों की जनसंख्या लगभग लाख के पास भी ज्ञात नहीं है, इसलिए इस प्रकार के अनुमानों में बहुत ज़्यादा त्रुटियों के होने की गुंजाइश है।

१७०० वीं शताब्दी के बाद जैसे जैसे औद्योगिक क्रांति तेज़ गति से बढ़ती गयी वैसे वैसे जनसंख्या वृद्धि में भी काफ़ी बढ़त देखने को मिली. पिछले ५० वर्षों में जनसंख्या वृद्धि की दर और भी ज़्यादा तेज़ हुयी है[4] और इसकी मुख्य वजह है चिकित्सा जगत में हुयी तरक़्क़ी और कृषि उत्पादकता में होने वाली महत्वपूर्ण बढ़त, ख़ास तौर से वर्ष १९६० से १९९५ के बीच हरित क्रांति के कारण हुई प्रगति. सन् २००७ में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग ने अनुमान लगाया कि वर्ष २०५५ में दुनिया की आबादी १० अरब के आँकड़े को पार कर जाएगी. भविष्य में, उम्मीद है कि दुनिया की आबादी में वृद्धि शिखर तक पहुंचेगी और उसके बाद आर्थिक कारणों, स्वास्थ्य चिंताओं, भूमि के अंधाधुंध प्रयोग और उसकी कमी और पर्यावरणीय संकटों के कारण आबादी कम होने लगेगी. इस बात की भी ८५% संभावना है कि इस सदी के अंत से पहले दुनिया की आबादी बढ़नी बंद हो जायेगी. ६०% संभावना है कि दुनिया की जनसंख्या वर्ष २१०० से पहले १० अरब लोगों से अधिक नहीं होगी और करीब १५% संभावना है कि सदी के अंत में विश्व की जनसंख्या आज की तिथि में विश्व की कुल जनसंख्या से कम हो जाएगी. विभिन्न क्षेत्रों के लिए, सर्वाधिक जनसंख्या के तारीख़ और आकार में काफ़ी भिन्नता होगी।

जनसंख्या वृद्धि रोकने के उपाय

कृत्रिम तरीकों का उपयोग करके जनसंख्या वृद्धि की दर को बदलने को जनसंख्या नियन्त्रण कहते हैं। कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ाने का लक्ष्य होता था किन्तु अब जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करना लक्ष्य है।

१९५० से १९८० के बीच की अवधि में पूरे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि तथा गरीबी, पर्यावरण बिगड़ने, तथा राजनैतिक स्थायित्व आदि पर इसके बुरे प्रभावों को देखते हुए जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने के प्रयत्न आरम्भ किये गये।

जनसंख्या नियन्त्रण की कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

गर्भनिरोध
संभोग-स्थगन
शिशु मृत्युदर को कम करना जिससे लोगों का डर (बच्चों के न बचने का) कम हो और वे अनावश्यक बच्चे न पैदा करें।
गर्भपात
स्त्रियों की प्रतिष्ठा में वृद्धि की जाय जिससे परम्परागत लैंगिक श्रम विभाजन के बजाय नये प्रकार का लैंगिक श्रम विभाजन हो।
बंध्यकरण
एकल शिशु नीति तथा द्वि शिशु नीति
परिवार नियोजन
छोटे परिवार को आदर्श के रूप में स्वीकारना[

loading...

Comments (0)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *