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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध : Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

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Essay on Beti Bachao Beti Padhao in Hindi बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार ने लड़कियों को बचाने उनकी सुरक्षा करने और उन्हें शिक्षा देने के लिए निम्न बाल लिंग अनुपात वाले साउथ हीरो में इस पूरी रीती को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है |

“हर लडाई जीतकर दिखाऊंगी, मैं अग्नि में जल कर भी जी जाऊंगी

चंद लोगों की पुकार सुन ली, मेरी पुकार न सुनी

मैं बोझ नहीं भविष्य हूं, बेटा नहीं पर बेटी हूं”

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना क्या है? Save Girl Child in Hindi

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल के रूप में समन्वित और अभिसरित प्रयासों के अंतर्गत बालिकाओं को संरक्षण और सशक्त करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को की गई है और जिसे निम्न लिंगानुपात वाले 100 जिलों में प्रारंभ किया गया है। सभी राज्यों / संघ शासित क्षेत्रों को कवर 2011 की जनगणना के अनुसार निम्न बाल लिंगानुपात के आधार पर प्रत्येक राज्य में कम से कम एक ज़िले के साथ 100 जिलों का एक पायलट जिले के रूप में चयन किया गया है ‘

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना आज भले ही सरकार भी चला रही है लेकिन इस बाबत व्यक्तिगत प्रयास भी कम महत्त्व पूर्ण नहीं है इसी कड़ी में एच एन मीणा जो की भारतीय राजस्व सेवा के 2004 बैच के अधिकारी है और उनकी पत्नी डॉ हेमलता मीणा पिछले 8 वर्षों से कन्या भ्रूण हत्या व् महिलाओं के अधिकारों के लिए देश भर में आंदोलन चला रहे है इनके कार्यक्रम की एक झलक :- हिंदुस्तान की आजादी के बाद की पहली जनगणना जो सन् 1951 में हुई ,के आंकड़ो के अनुसार प्रति हज़ार पुरुषो पर 946 महिलाएं थी उस समय ,लेकिन अफ़सोस आजादी के दशको बाद भी यह आंकड़ा प्रति हज़ार पुरुषो पर 940 महिलाओं पर ही सिमट के रह गया है। देश में सन् 2011 की जनगणना के अनुसार 3.73 करोड़ महिलाएं कम है ,कुल देश की जनसँख्या 121 करोड़ में से। देश में 0-6 आयुवर्ग में लिंगानुपात सन् 1991 की जनगणना के आकड़ो के अनुसार 945 था जो घटकर सन् 2001 की जनगणना में 927 पर आ गया और यह सन् 2011की जनगणना के आकड़ो के अनुसार 918 पर आ गया।यह आंकड़े देश में लिंगानुपात की विषम होती चिंताजनक स्तिथि को दर्शाते है।यदि हालात यही रहे तो आने वाले वर्षो में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है।

Beti Bachao Beti Padhao Scheme in Hindi बेटी बचाओ पर निबंध

देश में स्त्री पुरुष जनसंख्या के हिसाब से भी बराबरी पर नहीं है। भारत सरकार और राज्य सरकारो ने अपने अपने स्तर पर इस स्तिथि से निपटने के लिए कई प्रकार से प्रयास किये है।लेकिन पिछले 20 वर्षो का देश के लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या कम होने के कारण और उनसे निपटने के अब तक के किये गए सम्मलित प्रयासों का एच एन मीणा का अध्ययन /अनुभव यह कहता है कि जब तक हम सब इस घृणित बुराई के खिलाफ खड़े नही होंगे इससे मुक्ति संभव प्रतीत नहीं होती और इसके लिए हमें देश भर में आंदोलन चलाने की जरूरत है। देश की सरकार, बहुत सारे सरकारी गैर सरकारी संगठन और लोगो के व्यक्तिगत प्रयास जारी है। एच एन मीणा व् डॉ हेमलता मीणा दोनों पति -पत्नी इस पुनीत कार्य में कई वर्षो से लगे है हमा हिंदुस्तान की आजादी के बाद की पहली जनगणना जो सन् 1951 में हुई ,के आंकड़ो के अनुसार प्रति हज़ार पुरुषो पर 946 महिलाएं थी उस समय ,लेकिन अफ़सोस आजादी के दशको बाद भी यह आंकड़ा प्रति हज़ार पुरुषो पर 940 महिलाओं पर ही सिमट के रह गया है। देश में सन् 2011 की जनगणना के अनुसार 3.73 करोड़ महिलाएं कम है ,कुल देश की जनसँख्या 121 करोड़ में से। देश में 0-6 आयुवर्ग में लिंगानुपात सन् 1991 की जनगणना के आकड़ो के अनुसार 945 था जो घटकर सन् 2001 की जनगणना में 927 पर आ गया और यह सन् 2011की जनगणना के आकड़ो के अनुसार 918 पर आ गया।यह आंकड़े देश में लिंगानुपात की विषम होती चिंताजनक स्तिथि को दर्शाते है।यदि हालात यही रहे तो आने वाले वर्षो में स्थिति और चिंताजनक हो सकती है। देश में स्त्री पुरुष जनसंख्या के हिसाब से भी बराबरी पर नहीं है।

भारत सरकार और राज्य सरकारो ने अपने अपने स्तर पर इस स्तिथि से निपटने के लिए कई प्रकार से प्रयास किये है।लेकिन पिछले 20 वर्षो का देश के लिंगानुपात में महिलाओं की संख्या कम होने के कारण और उनसे निपटने के अब तक के किये गए सम्मलित प्रयासों का मेरा अध्ययन /मेरा अनुभव यह कहता है कि जब तक हम सब इस घृणित बुराई के खिलाफ खड़े नही होंगे इससे मुक्ति संभव प्रतीत नहीं होती और इसके लिए हमें देश भर में आंदोलन चलाने की जरूरत है। देश की सरकार, बहुत सारे सरकारी गैर सरकारी संगठन और लोगो के व्यक्तिगत प्रयास जारी है। एच एन मीणा एवं उनकी पत्नी डॉ हेमलता मीणा दोनों पति -पत्नी इस पुनीत कार्य में कई वर्षो से अपनी श्रद्धानुसार ,किसी से कोई चंदा उगाई के बिना सिर्फ अपने वेतन में से एक हिस्सा खर्चा करके बेटियों को बचाने की दिशा में लोगो को जागरूक करने की कोशिश कर रहे है। कई वर्षो में अब तक इन्होंने इस कार्यक्रम को बिना किसी से वित्तीय सहयोग के चलाया है विभिन्न रूपों में।

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मीणा दंपति कहते है कि जब तक देश से यह लिंगानुपात की खाई मिट नहीं जाती उनका हर स्तर पर यह प्रयास सरकारी नौकरी की व्यस्तताओं के बीच भी रविवार आदि छुट्टी के दिनों में जारी रहेगा बेटियो को बचाने के लिए। आजादी के बाद भारत ने सभी क्षेत्रो में खूब विकास किया वो चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो चाहे स्वास्थ्य का, चाहे विज्ञान हो चाहे अर्थव्यवस्था का ,लेकिन दुर्भाग्य से स्त्री -पुरुष के लिंगानुपात को बराबरी पर नहीं ला पाये कोई भी प्रयास भारत में । एच एन मीणा को लगता है यह अंतर तब तक नहीं पाटा जा सकता है जब तक की हमारी स्त्रियों के प्रति सोच में आमूलचूल परिवर्तन नहीं आ जाए।इसके लिए हमें एक ऐसे आंदोलन की जरूरत है जो लोगो की सोच में एक हद तक ऐसा परिवर्तन ला पाये जिसके आईने में हमें लड़का लड़की में भेद नज़र नहीं आये।इसी सामाजिक सोच में परिवर्तन की दिशा में एक ईमानदार और अभिनव प्रयास बेटियों को बचाने की दिशा में कर रहे है मीणा दंपति “पहियों पर मुहीम ” चलाकर जिसमे हम पहले चरण में 10000 हज़ार लंबी दूरी पर राष्ट्रिय राजमार्गो पर चलने वाले ट्रको पर बेटी बचाने व् बेटी पढाने का सन्देश चस्पा कर रहे है ट्रक चालको की सहमति से।यह सब भी बिना किसी लोभ और लालच व् बिना किसी संस्था के सहयोग से कर रहें है देश की बेटियों के नाम ,लोभ है तो सिर्फ एक कि , हर बेटी का जीवन बचना चाहिए उसे माँ के गर्भ में ही नहीं मारा जाना चाहियें।

इनमे से कुछ उपाय निम्नलिखित है:-

  • गर्भधारण करने से पहले और बाद में लिंग चयन रोकने और प्रसव पूर्व निदान तकनीक नियमित करने के लिए सरकार ने व्यापक कानून का पधानाचाय पूर्व और प्रसव पूर्व निदान लिंकन पर रोक कानून 1994 में लागू किया है इसमें वर्ष 2003 में संशोधन किया गया|
  • सरकारी कानून को प्रभावशाली तरीके से लागू करने में 30 जुलाई और उसने विभिन्न नियमों में संशोधन की है जिसमें गैर पंजीकृत मशीनों को सील करने और उन्हें जब तक करने तथा गैर पंजीकृत क्लीनिकों में दंडित करने का प्रावधान है वो टेबल अल्ट्रासाउंड उपकरण का इस्तेमाल का नियमन केवल पंजीकृत परिसर के भीतर अधिसूचित किया गया इस के तहत कोई भी मेडिकल प्रेक्टिशनर एक जिले के भीतर अधिकतम 2 अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर ही अल्ट्रासोनोग्राफी कर सकता है साथ ही पंजीकरण शुल्क अभी बनाया गया|
  • स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों से आग्रह किया गया है कि वह अधिनियम को मजबूती से कार्यनीति करें और गैरकानूनी रूप से लिंग पता लगाने के तरीके को रोकने के लिए कदम उठाएं|
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत सभी राज्यों के मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे लिंग अनुपात की प्रवृत्ति को लड़ते हैं और शिक्षा पर बालिकाओं की अनदेखी की प्रवृति पर रोक लगाएं|
  • स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों में कहा कि वह इस कानून को गंभीरता से लागू करने पर अधिकतम ध्यान दें|
  • पीएनडीटी कानून के अंतर्गत केंद्रीय निगरानी बोर्ड का गठन किया गया और इसकी नियमित बैठक कराई गई|
  • वेबसाइट ओपन लिंग चयन के विज्ञापन रोकने के लिए यह मामला संचार है उस सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के समक्ष उठाया गया हाल ही में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सर्च इंजन गूगल को लिंग जांच से संबंधित सभी विज्ञापन हटाने का निर्देश दिया था|
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत राष्ट्र निरीक्षण और निगरानी समिति का पुनर्गठन किया गया और अल्ट्रासाउंड संबंधी सेवा समिति बिहार छत्तीसगढ़ दिल्ली हरियाणा मध्य प्रदेश पंजाब उत्तराखंड राजस्थान गुजरात और उत्तर प्रदेश में निगरानी का कार्य किया गया|
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कानून के कार्यान्वयन के लिए सरकार सूचना शिक्षा और संचार अभियान के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता दे रही है|
  • राज्य को सलाह दी गई की कन्या भ्रूण हत्या के कारणों का पता लगाने के लिए कम लिंग अनुपात वाले जिले ब्लॉकों काम पर विशेष ध्यान दें उपयुक्त व्यवहार परिवर्तन संपर्क अभियान तरह तैयार करें और पीसी एंड पीएनडीटी कानून के प्रावधानों को प्रभावशाली तरीके से लागू करें|
  • धार्मिक नेता और महिलाएं लिंग अनुपात और लड़कियों के साथ भेदभाव के खिलाफ चलाए जा रहे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में शामिल हो|
  • बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के साथ ही इस विषय को अधिक व्यापक बनाने के लिए से शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना आवश्यक है आने वाली पूरी पीढ़ी तभी शिष्य के प्रति संवेदनशील हो पाएगी जब बचपन से ही उसे यह शिक्षा दी जाए|

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