कपालभाति क्या है ?(What is Kapalbhati)
कपालभाति: योग और प्राणायाम एक ऐसी क्रिया है जो हमारे शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने में हमारी मदद करते है। जीवनशैली लगातार बदल रही है जिस वजह से हमारे खान-पान में भी बदलाव आ गए है जिसका असर हमारे शरीर पर होता है और शरीर कई तरह की बिमारियों से घिर जाता है। इसलिए आज हम आपको बताएँगे की Kapalbhati Yoga, कपालभाति कैसे करें और Kapalbhati Ke Labh क्या है।
कपालभाति योग प्रणाली प्राणायाम का एक हिस्सा है जिसे शरीर की सफाई की जाती है। कपालभाती शब्द दो शब्दों से मिल कर बना है: कपाल का अर्थ है ‘माथा’ और भाति का अर्थ है ‘तेज’। कपालभाति का अभ्यास करने से चेहरा पर चमक से उत्पन्न तेज रहता है। प्रक्रिया के कारण मस्तिष्क अच्छे तरह से प्रभावित होते हैं। कपालभाती में छोटी और मजबूत बलवर्धक साँसें शामिल हैं ।
कपालभाति प्राणायाम कैसे करें? (How To Do Kapalbhati Pranayama Yoga –Steps )
कपालभाति प्राणायाम दिन में सुबह के समय, सूर्योदय के पहले करने पर अधिक लाभ होता है। इस प्राणायाम अभ्यास को नया नया शुरू करने वाले व्यक्ति को दो से तीन मिनट में थकान महसूस हो सकती है| परंतु एक या दो हफ्तों के अभ्यास के बाद कोई भी सामान्य व्यक्ति लगातार पांच मिनट से अधिक समय तक कपालभाति प्राणायाम करनें के लिए सक्षम हो जाता है।
कपालभाति प्राणायाम हमेशा शुद्ध वातावरण में ही करना चाहिए। पद्मासन में बैठ कर इस आसान को करने पर अधिक लाभ होता है।
कपालभाति प्राणायाम करने के लिए किसी अच्छी शांत और स्वच्छ जगह का चयन करके, वहाँ पर आसन बिछा कर पद्मासन में बैठ जाए।
कपालभाती के फायदे (Benefits of Kapalbhati in Hindi)
1- अगर आप मोटे है तो तुरंत ही आपका मोटापा कम होने लगेगा। भारतवर्ष में लगभग जिन लोगो ने कपलभाटी किया है 30-40 किलोग्राम वजन कम किया है।
2- दिमागी पावर को बढ़ाने में कपालभाति एक अच्छा योग है। इसे करने से आपका दिमागी शक्ति जल्दी काम करता है और आप किसी भी काम को एक बार करने के बाद कभी नहीं भूल सकते हैं।
3- शरीर और मन से नकारात्मक बातों को दूर करता है।
4- गैस, कब्ज और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है।
5- चेहरे की झुर्रियों और आँखों के नीचे कालेपन को दूर कर नयी चमक लाता है।
विधि : सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठकर सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि श्वास लेना नहीं है क्योंकि उक्त क्रिया में श्वास स्वत: ही अंदर चली जाती है।
लाभ : फेंफड़ों को मजबूत करने वाला यह प्राणायाम आपके चेहरे की झुर्रियां और आंखों के नीचे का कालापन हटाकर चेहरे की चमक बढ़ाता है। दांतों और बालों के सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं। शरीर की चरबी कम होती है। कब्ज, गैस, एसिडिटी की समस्या में लाभदायक है। शरीर और मन के सभी प्रकार के नकारात्मक तत्व और विचार मिट जाते हैं।
कपालभाति प्राणायाम करने की सावधानियां(Precautions to do Kapalbhati Pranayama)
गर्भवती महिला इस प्राणायाम को ना करें।
अगर कपालभाति करते समय चक्कर आने लगे या पेट दर्द करने लगे तो कपालभाति करना बंद कर दे।
इस प्राणायाम की गति समान रखें जैसे आप समान रूप से सांस लेते हैं उसी की गति में यह प्राणायाम करें।
यह प्राणायाम दिन के समय करें।
कपालभाति के प्रकार(Types of Kapalbhati)
मुख्य रूप से कपालभाति प्राणायम के तीन प्रकार होते हैं।
१- वातकृपा कपालभाति: इसमें सांसों को रोकना तथा छोड़ने की प्रक्रिया शामिल होती है।
२- विमुक्तकर्म कपालभाति: इसमें जल का प्रयोग किया जाता है। नाक से जल को भीतर लेना तथा मुंह से बाहर निकालने की प्रक्रिया है।
३- शीतकर्म कपालभाति: इसका अभ्यास विमुक्तकर्म के बिल्कुल विपरीत है। मुंह द्वारा जल अंदर लेकर नाक द्वारा बाहर निकालने का अभ्यास किया जाता है।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है |
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