बाइबिल (Bible), ईसाई धर्म (मसीही धर्म) की आधारशिला तथा ईसाइयों (मसीहियों) का पवित्रतम धर्मग्रन्थ है। इसके दो भाग हैं : पूर्वविधान (ओल्ड टेस्टामैंट) और नवविधान (न्यू टेस्टामेंट)। बाइबिल का पूर्वार्ध यहूदियों का भी धर्मग्रंथ है, तथा उत्तरार्द्ध ईसा मसीह व उनकी शिक्षाओं पर आधारित है। बाइबिल ईश्वरप्रेरित (इंस्पायर्ड) है किंतु ईश्वर ने बाइबिल के विभिन्न लेखकों को इस प्रकार प्रेरित किया है कि वे ईश्वरकृत होते हुए भी उनकी अपनी रचनाएँ भी कही जा सकती हैं। ईश्वर ने बोलकर उनसे बाइबिल नहीं लिखवाई। वे अवश्य ही ईश्वर की प्रेरणा से लिखने में प्रवृत्त हुए किंतु उन्होंने अपनी संस्कृति, शैली तथा विचारधारा की विशेषताओं के अनुसार ही उसे लिखा है। अत: बाइबिल ईश्वरीय प्रेरणा तथा मानवीय परिश्रम दोनों का सम्मिलित परिणाम है।
मानव जाति तथा यहूदियों के लिए ईश्वर ने जो कुछ किया और इसके प्रति मनुष्य की जो प्रतिक्रिया हुई उसका इतिहास और विवरण ही बाइबिल का वण्र्य विषय है। बाइबिल गूढ़ दार्शनिक सत्यों का संकलन नहीं है बल्कि इसमें दिखलाया गया है कि ईश्वर ने मानव जाति की मुक्ति का क्या प्रबंध किया है। वास्तव में बाइबिल ईश्वरीय मुक्तिविधान के कार्यान्वयन का इतिहास है जो ओल्ड टेस्टामेंट में प्रारंभ होकर ईसा के द्वारा न्यू टेस्टामेंट में संपादित हुआ है। अत: बाइबिल के दोनों भागों में घनिष्ठ संबंध है। ओल्ड टेस्टामेंट की घटनाओं द्वारा ईसा के जीवन की घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की गई है। न्यू टेस्टामेंट में दिखलाया गया है कि मुक्तिविधान किस प्रकार ईसा के व्यक्तित्व, चमत्कारों, शिक्षा, मरण तथा पुनरुत्थान द्वारा संपन्न हुआ है; किस प्रकार ईसा ने चर्च की स्थापना की और इस चर्च ने अपने प्रारंभिक विकास में ईसा के जीवन की घटनाओं को किस दृष्टि से देखा है कि उनमें से क्या निष्कर्ष निकाला है।
बाइबिल की रोचक बातें (INTERESTING FACTS OF BIBLE)
बाइबिल विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली धर्म ग्रंथ है। इसकी 500 करोड़ कॉपियां बिक चुकी है। यह 2400 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है। चीन में सबसे अधिक बाइबिल की कॉपी प्रकाशित की जाती है।
इस ग्रंथ में बाइबल की कसम खाने की मनाही है। इसलिए भारत देश में किसी भी न्यायालय में बाइबल की कसम नहीं खिलाई जाती है। डोमिनिकन रिपब्लिक विश्व में एकमात्र ऐसा देश है जिसके झंडे में बाइबल छपी हुई है।
बाइबिल कैसे पढ़ना चाहिये (HOW TO READ BIBLE)
बाइबल को सही तरह से पढ़ना चाहिए। इसे कभी भी जल्दबाजी में नहीं पढ़ना चाहिए। इससे हमेशा प्रार्थना और नम्रता के साथ पढ़ना चाहिए। किसी व्यक्ति को यह घमंड नहीं करना चाहिए कि वह दूसरे से अधिक देर तक पढ़ता है। यदि कोई गलती हो तो हमें ईश्वर इस मसीह से माफी मांगनी चाहिए।
नए लोगों को नया विधान (न्यू टेस्टामेंट) पढ़ना चाहिए। नए नियम की चौथी पुस्तक यूहन्ना ने लिखी है। रचित सुसमाचार से इसे पढ़ना चाहिए। यह समाचार सीधा और सरल शब्दों में लिखा गया है जो कोई भी व्यक्ति समझ सकता है। यह उद्धार की योजना बताता है। प्रभु यीशु मसीह कौन थे, उन्होंने क्या सिखाया इसके बारे में पूरी जानकारी देता है। इसके बाद मरकुस द्वारा लिखा गया समाचार पढ़ना चाहिए।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है |
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