Essay(Slogan) on Sports in Hindi खेल के महत्व पर स्लोगन & निबंध
खेल एक शारीरिक क्रिया है, जिसके खेलने के तरीकों के अनुसार अलग-अलग नाम होते हैं। खेल लगभग सभी बच्चों द्वारा पसंद किए जाते हैं, चाहे वे लड़की हो या लड़का। आमतौर पर, लोगों द्वारा खेलों के लाभ और महत्व के विषय में तर्क दिए जाते हैं। और हाँ, खेल का हरेक प्रकार शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक और बौद्धिक स्वास्थ्य के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है।
यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। नियमित खेल खेलना मानसिक कौशल को विकसित करने में मदद करता है। यह एक व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक कौशल में भी सुधार करता है। यह प्रेरणा, साहस, अनुशासन और एकाग्रता को लाता है। स्कूलों में खेल खेलना और इनमें भाग लेना विद्यार्थियों के कल्याण के लिए आवश्यक बना दिया गया है।
सभी समझते हैं कि, खेल और स्पोर्ट्स का अर्थ केवल शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती है। यद्यपि, इसके बहुत से छिपे हुए लाभ भी है। स्पोर्ट्स (खेल) और अच्छी शिक्षा दोनों ही एक साथ एक बच्चे के जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। दोनों को ही स्कूल और कॉलेजों में बच्चों को आगे बढ़ाने और विद्यार्थियों का उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए समान प्राथमिकता देनी चाहिए। खेल का अर्थ न केवल शारीरिक व्यायाम है हालांकि, इसका अर्थ विद्यार्थियों की पढ़ाई की ओर एकाग्रता स्तर को बढ़ावा देना है। खेलों के बारे में आमतौर पर, कहा जाता है कि, “एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन रहता है”, जिसका अर्थ है कि, जीवन में आगे बढ़ने और जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तंदरुस्त शरीर में एक स्वस्थ मन होना चाहिए।
शरीर का स्वास्थ्य पूरे जीवनभर स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है। लक्ष्य पर पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित करने के लिए मानसिक और बौद्धिक स्वास्थ्य भी बहुत आवश्यक है। खेल खेलना उच्च स्तर का आत्मविश्वास लाता है और हमें अनुशासन सिखाता है, जो हमारे साथ पूरे जीवनभर रहता है। बच्चों को खेलों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और घर और स्कूली स्तर पर शिक्षकों और अभिभावकों की समान भागीदारी के द्वारा उनकी खेलों में रुचि का निर्माण करना चाहिए। स्पोर्ट्स और खेल बहुत ही रुचिकर हो गए हैं और किसी के भी द्वारा किसी भी समय खेले जा सकते हैं हालांकि, पढ़ाई और अन्य किसी में भी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए इनका बचपन से ही अभ्यास होना चाहिए।
खेल और स्पोर्ट्स बहुत प्रकार के होते हैं और उनके नाम, खेलने के तरीके और नियमों के अनुसार होते हैं। कुछ प्रसिद्ध खेल, क्रिकेट, हॉकी (राष्ट्रीय खेल), फुटबॉल, बॉस्केट बॉल, वॉलीबॉल, टेनिस, दौड़, रस्सी कूद, ऊँची और लम्बी कूद, डिस्कस थ्रो, बैडमिंटन, तैराकी, खो-खो, कबड्डी, आदि बहुत से है। खेल शरीर और मन, सुख और दुख के बीच सन्तुलन बनाने के द्वारा लाभ-हानि को ज्ञात करने का सबसे अच्छा तरीका है। कुछ घंटे नियमित रुप से खेल खेलना, स्कूलों में बच्चों के कल्याण और देश के बेहतर भविष्य के लिए आवश्यक बना दिया गया है।
खेलों का हमारे जीवन में महत्व पर निबंध Khel Par Slogan in Hindi
खेलों से हमारा शरीर स्वस्थ और शक्तिशाली तो बनता है, साथ ही रक्त-संचार भी बढ़ता है | मांसपेशियाँ और हड्डिया बहुत ही मजबूत बनती चली जाती है | खेलते समय जो हमारे शरीर से पसीना निकलता है उससे विष-तत्व बाहर निकल जाते है, साथ ही पाचन-क्रिया भी सुचारु हो जाती है | इस तरह शरीर चुस्त और फुर्तीला बना रहता है |
बच्चों के लिए तो खेल भोजन जितना ही महत्त्व रहता है | बच्चे और खेल एक-दुसरे से अभिन्न रूप से जुड़े है | बच्चे की यदि खेल में रूचि न हो तो निश्चय ही यह चिंता का विषय बन जाता है | शारीरिक विकास की तो नींव होती ही है, साथ ही ए बौधिक और भावनात्मक विकास के लिए भी अवश्यक हैं | खेल मन को रमाते हैं | उत्फुल्लता का संचार करके भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करता हैं | सामूहिक खेल बौद्धिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | इससे आपसी-तालमेल और सूझ-बुझ विकसित होती है | सारे तनावों को भुलाकर मन जब खेल में रम जाता है तो व्यक्ति जीवन के दुःख-दर्द भूल जाता है | इस प्रकार खेल तनाव-मुक्त कर हमें मानसिक शांति भी प्रदान करता है |
खेलो का एक उद्देश्य संघर्षो से उरने और उनका सामना करने की क्षमता पैदा करना भी है | ‘खेल-भावना ’ जीवन में विपरीत स्थितियों का मुकाबला करने का साहस देती है | विषम परिस्थितियों में भी निराशा और उदासी उसे नही घेरती है | संघर्षपूर्ण और तनावों से घिरा जीवन में खेल टॉनिक का काम करते है | हम सुख-दुःख को संभव से लेना सीखते है |
किताबी-कीड़ा बनने वालों का जीवन असंतुलित रहता है | सहयोग-सहकर का प्रशिक्षन खेलो से प्राप्त होता है | विवेकानंद जी ने कितना सही कहा था—
“ गीता के अभ्यास की आपेक्षा फुटबोल खेलकर तुम स्वर्ग के अधिक निकट पहुच जाओगे कलाई और भुजाएँ मजबूत होने पर तुम गीता को अधिक अच्छी तरह समझ सकोगे | “
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है |
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