What is Ayurveda in Hindi?
Ayurveda is a system of medicine with historical roots in the Indian subcontinent. Globalized and modernized practices derived from Ayurveda traditions are a type of complementary or alternative medicine.
आयुर्वेद क्या है? Ayurveda Kya Hai
आयुर्वेद प्राचीन भारतीय पद्दति की प्राकृतिक और सम्पूर्ण औषधि है| आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने का ऐसा तरीका सिखाता है, जिससे जीवन लंबा और खुशहाल होता है।
आयुर्वेद (आयुः + वेद = आयुर्वेद) विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह ऋग्वेद का उपवेद है। यह विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। ‘आयुर्वेद’ नाम का अर्थ है, ‘जीवन का ज्ञान’ और यही संक्षेप में आयुर्वेद का सार है।
“आयुर्वेद ” शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – “आयुष” और “वेद”।
हिताहितं सुखं दुःखमायुस्तस्य हिताहितम्।
मानं च तच्च यत्रोक्तमायुर्वेदः स उच्यते॥ -(चरक संहिता १/४०)
(अर्थात जिस ग्रंथ में – हित आयु (जीवन के अनुकूल), अहित आयु (जीवन के प्रतिकूल), सुख आयु (स्वस्थ जीवन), एवं दुःख आयु (रोग अवस्था) – इनका वर्णन हो उसे आयुर्वेद कहते हैं।)
आयुर्वेद और आयुर्विज्ञान दोनों ही चिकित्साशास्त्र हैं परन्तु व्यवहार में चिकित्साशास्त्र के प्राचीन भारतीय ढंग को आयुर्वेद कहते हैं और ऐलोपैथिक प्रणाली (जनता की भाषा में “डाक्टरी’) को आयुर्विज्ञान का नाम दिया जाता है।
आयुर्वेद की परिभाषा Definition of Ayurveda in Hindi
आयुर्वेद विश्व में विद्यमान वह साहित्य है, जिसके अध्ययन पश्चात हम अपने ही जीवन शैली का विश्लेषण कर सकते है।
(1) आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः।
अर्थात जो शास्त्र (विज्ञान) आयु (जीवन) का ज्ञान कराता है उसे आयुर्वेद कहते हैं।
(2) स्वस्थ व्यक्ति एवं आतुर (रोगी) के लिए उत्तम मार्ग बताने वाला विज्ञान को आयुर्वेद कहते हैं।
(3) अर्थात जिस शास्त्र में आयु शाखा (उम्र का विभाजन), आयु विद्या, आयुसूत्र, आयु ज्ञान, आयु लक्षण (प्राण होने के चिन्ह), आयु तंत्र (शारीरिक रचना शारीरिक क्रियाएं) – इन सम्पूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है वह आयुर्वेद है।
इस शास्त्र के आदि आचार्य अश्विनीकुमार माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इंद्र ने यह विद्या प्राप्त की। इंद्र ने धन्वंतरि को सिखाया। काशी के राजा दिवोदास धन्वंतरि के अवतार कहे गए हैं। उनसे जाकर सुश्रुत ने आयुर्वेद पढ़ा। अत्रि और भारद्वाज भी इस शास्त्र के प्रवर्तक माने जाते हैं।
आय़ुर्वेद के आचार्य ये हैं— अश्विनीकुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त्य, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जतुकर्ण, पराशर, सीरपाणि, हारीत), सुश्रुत और चरक।
आयुर्वेद का उद्देश्य ही स्वस्थ प्राणी के स्वास्थ्य की रक्षा तथा रोगी की रोग से रक्षा है। (प्रयोजनं चास्य स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणं आतुरस्यविकारप्रशमनं च)।
आयुर्वेद के दो उद्देश्य हैं :
स्वस्थ व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा करना
रोगी व्यक्तियों के विकारों को दूर कर उन्हें स्वस्थ बनाना
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है |
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