ऊर्जा के प्रकार कितने होते हैं? ऊर्जा के प्रकार के नाम बताइए Types of Energy in Hindi
किसी भी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहा जाता है.
ऊर्जा अविनाशी है, क्योंकि ना तो इसको किसी भी प्रकार से उत्पन्न किया जा सकता है और ना ही किसी भी प्रकार से नष्ट किया जा सकता है.
ऊर्जा के प्रकार
1). Potential Energy (स्थितिज ऊर्जा)
जब कोई वस्तु या पदार्थ अपनी विराम अवस्था में होता है, अर्थात वो सिर्फ एक ही जगह पर स्थिर रहता है, तो उसकी ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है.
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी मेज़ पर कोई किताब राखी हुई है, तो उसमें स्थितिज ऊर्जा है, क्योंकि किताब अपनी विराम अवस्था में है.
किसी झील या बाँध में रुका हुआ पानी या तेल से भरा हुआ ड्रम आदि स्थितिज ऊर्जा के ही उदहारण हैं.
स्थितिज ऊर्जा अदिश राशि है क्योंकि इसके लिए सिर्फ परिमाण की आवश्यकता होती है, गति की नहीं.
- अगर किसी पिण्ड को पृथ्वी से 1 मीटर की ऊंचाई पर ले जाया जाए, जिसका भार 1 किलो है, तो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध जाने के कारण उस पिंड में 1 किलोग्राम-मीटर तक कार्य करने की क्षमता होती है.
जितना ज्यादा ऊंचाई पर वस्तु को लेकर जाएंगे, उतनी ही ज्यादा ऊर्जा उस वस्तु में आती जायेगी.
यह ऊर्जा उस वस्तु की स्थिति और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही पैदा होती है, जिसे स्थितिज ऊर्जा कहा जाता है.
- दुसरे उदहारण से समझें तो, जब किसी धनुष पर कोई तीर चढ़ाया जाता है, तो उस तीर में स्थितिज ऊर्जा आ जाती है और इसको खींचकर छोड़ने पर यही स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है.
तीर को जितना ज्यादा धनुष के साथ खीचेंगे, उतनी ही ज्यादा स्थितिज ऊर्जा बढ़ेगी और तीर छोड़ने पर उतनी ही ज्यादा तीर दूर जाएगा.
Types of Energy in Hindi
2). गतिज ऊर्जा
जिस प्रकार किसी वस्तु की विराम स्थिति के कारण उसमें स्थितिज ऊर्जा होती है, उसी प्रकार वस्तु की गति के कारण उसमें गतिज ऊर्जा होती है.
जब कोई वस्तु अपनी विराम अवस्था में होती है और जब उसको गतिमान किया जाता है, तो उसको गति देने के लिए बाहर से बल लगाया जाता है.
यही बल उसकी स्थितिज ऊर्जा के साथ मिलकर उसको गतिमान कर देता है, जिसे उस वस्तु की गतिज ऊर्जा कहते हैं.
उदाहरण:
मान लो किसी ऊंचाई पर कोई बड़ा पत्थर रखा हुआ है और वह विराम अवस्था में है, तो इसमें सिर्फ स्थितिज ऊर्जा है.
लेकिन जब इसको बाहरी बल द्वारा धकेला जाता है, तो ये बल स्थितिज ऊर्जा के साथ मिलकर पत्थर को नीचे गिराकर उसको गतिमान कर देता है और नीचे गिरते हुए पत्थर में गतिज ऊर्जा आ जाती है.
3). Mechanical Energy (यांत्रिक ऊर्जा)
स्थितिज और गतिज ऊर्जा का योग ही यांत्रिक ऊर्जा है. किसी वस्तु या पिंड में उसकी विराम अवस्था यानि स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा कारण उत्पन्न हुई ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा कहा जाता है.
जब कोई कार्य किसी वस्तु पर किया जाता है अर्थात उस वस्तु पर बाहरी बल लगाकर कोई कार्य करने पर उसकी स्थितिज ऊर्जा और गतिज ऊर्जा दोनों ही एकत्रित हो जाती हैं, जिसके योग को ही यांत्रिक ऊर्जा कहते हैं.
जैसे की जब किसी गेट पर हम अपनी स्थितिज ऊर्जा और हाथों की गतिज ऊर्जा से उसको पीछे धकेलते हैं, तो यह कार्य दोनों ऊर्जा का संगम है और इसी यांत्रिक ऊर्जा के कारण गेट खुल जाता है.
Types of Energy in Hindi
4). Chemical Energy (रासायनिक ऊर्जा)
रासायनिक ऊर्जा पदार्थों के मध्य भाग में संचित रहती है. सभी पदार्थ छोटे छोटे अणुओं से मिलकर बने होते हैं और सभी अणु उससे भी छोटे छोटे परमाणुओं से मिलकर.
यह ऊर्जा उन सभी परमाणुओं और अणुओं की आपसी स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.
जब कोई विभिन्न प्रकार के पदार्थ आपस में मिलते हैं तो उनके अणु और परमाणु के बीच क्रिया होती है, जिससे ऊर्जा या तो निकलती है या फिर अवशोषित होती है.
ऊर्जा का निकलना या अवशोषित होना, दोनों ही उष्मा के रूप में होती है.
5). Electric Energy (विद्युत ऊर्जा)
बिजली आज के समय में मानव के लिए बहुत मत्वपूर्ण साधन है, जिसके बिना आधुनिकता का कोई प्रमाण ही नहीं बचता.
किसी भी परिपथ में धरा के प्रवाह के लिए सेल या किसी अन्य यंत्र द्वारा कार्य करना पड़ता है और यही कार्य विद्युत ऊर्जा है.
जब किसी सेल को किसी परिपथ से जोड़ा जाता है, तो सेल उस परिपथ में धारा प्रवाह करने के लिए कार्य करता है. सेल द्वारा किया गया वो कार्य, जिससे परिपथ में धरा बहने लगती है, विद्युत ऊर्जा कहलाती है.
Types of Energy in English
6). Gravitational Energy (गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा)
पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण की शक्ति से तो सभी लोग परिचित होंगे. किसी भी वस्तु में स्थितिज और गतिज दोनों ही ऊर्जा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण ही है.
जब कोई वस्तु पृथ्वी से ऊंचाई पर जाती है, तो पृथ्वी की शक्ति उसको अपनी ओर खींचती है, जिसके कारण उस वस्तु में भी ऊर्जा आ जाती है.
पृथ्वी द्वारा उस वस्तु को खींचने में किया गया कार्य ही गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा है.
Types of Energy in Hindi
7). Thermal Energy (उष्मीय ऊर्जा)
जैसा कि सभी जानते हैं कि हर पदार्थ छोटे छोटे अणुओं से मिलकर बना होता है और ये कण उसके अंदर गति करते रहते हैं.
जब इन कणों की गति बहुत ज्यादा हो जाती है, तो वो आपस में एक-दुसरे से टकराने लगते हैं और ऊर्जा का संचार करते हैं, जिससे पदार्थ गर्म होने लगता है, यही उस पदार्थ की उष्मीय ऊर्जा है.
उष्मीय ऊर्जा गतिज ऊर्जा का ही एक प्रकार है, क्योंकि ये कणों की कारण ही उत्पन्न होती है.
यह ऊर्जा कणों के तेज़ी से बहने की वजह से एक वस्तु से दूसरी वस्तु में भी स्थानांतरण हो जाती है.
उदहारण के तौर पर, जब हम कोई बर्तन स्टोव पर रखकर उसको गर्म करते हैं, तो बर्तन गर्म होने लगता है. जब इस बर्तन में पानी डाला जाता है, तो कुछ देर में बर्तन के साथ साथ पानी भी गर्म होने लगता है, इसका मतलब यह है कि उष्मा बर्तन से पानी के अंदर स्थानांतरित हो गयी.
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है |
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