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Poverty Essay in Hindi : गरीबी पर निबंध “गरीबी एक अभिशाप”

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What is Poverty in Hindi? Essay on Poverty in Hindi

Poverty means not having enough money for basic needs such as food, drinking water, shelter, or toilets. Many people in different countries live in poverty, especially in developing areas of Africa, Latin America and some parts Asia.

गरीबी क्या है? गरीबी एक अभिशाप निबंध – गरीबी के कारण और निवारण

गरीबी या निर्धनता जीवन जीने के साधनों या इस हेतु धन के अभाव की स्थिति है।

भारत में ग़रीबी बहुत व्यापक है जहाँ अन्दाज़े के मुताबिक़ दुनिया की सारी ग़रीब आबादी का तीसरा हिस्सा रहता है। 2010 में विश्व बैंक ने सूचना दी कि भारत के 32.7% लोग रोज़ना की US$ 1.25 की अंतर्राष्ट्रीय ग़रीबी रेखा के नीचे रहते हैं और 68.7% लोग रोज़ना की US$ 2 से कम में गुज़ारा करते हैं।

योजना आयोग के साल 2009-2010 के गरीबी आंकड़े कहते हैं कि पिछले पांच साल के दौरान देश में गरीबी 37.2 फीसदी से घटकर 29.8 फीसदी पर आ गई है।

यानि अब शहर में 28 रुपए 65 पैसे प्रतिदिन और गाँवों में 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले को गरीब नहीं कहा जा सकता. नए फार्मूले के अनुसार शहरों में महीने में 859 रुपए 60 पैसे और ग्रामीण क्षेत्रों में 672 रुपए 80 पैसे से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है।

इससे एक बार फिर उस विवाद को हवा मिल सकती है जो योजना आयोग द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर किए गए हलफनामे के बाद शुरू हुआ था। इसमें आयोग ने 2004-05 में गरीबी रेखा 32 रुपये प्रतिदिन तय किए जाने का उल्लेख किया था।

विश्लेषकों का कहना है कि योजना आयोग की ओर से निर्धारित किए गए ये आंकड़े भ्रामक हैं और ऐसा लगता है कि आयोग का मक़सद ग़रीबों की संख्या को घटाना है ताकि कम लोगों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फ़ायदा देना पड़े.

भारत में ग़रीबों की संख्या पर विभिन्न अनुमान हैं। आधिकारिक आंकड़ों की मानें, तो भारत की 37 प्रतिशत आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे है। जबकि एक दूसरे अनुमान के मुताबिक़ ये आंकड़ा 77 प्रतिशत हो सकता है।

भारत में महंगाई दर में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।

कई विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में मासिक कमाई पर ग़रीबी रेखा के आंकड़ें तय करना जायज़ नहीं है।

साल 2011 मई में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में सामने आया था कि ग़रीबी से लड़ने के लिए भारत सरकार के प्रयास पर्याप्त साबित नहीं हो पा रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया था कि भ्रष्टाचार और प्रभावहीन प्रबंधन की वजह से ग़रीबों के लिए बनी सरकारी योजनाएं सफल नहीं हो पाई हैं।

Poverty Essay in Hindi : गरीबी पर निबंध & गरीबी एक अभिशाप

निर्धनता एक परिस्थिति है जिसमें लोग जीवन के आधारभूत जरुरतों से महरुम रहते हैं जैसे अपर्याप्त भोजन, कपड़े और छत। भारत में ज्यादातर लोग ठीक ढंग से दो वक्त की रोटी नही हासिल कर सकते, वो सड़क किनारे सोते हैं और गंदे कपड़े पहनते हैं। वो उचित स्वस्थ पोषण, दवा और दूसरी जरुरी चीजें नहीं पाते हैं। शहरी जनसंख्या में बढ़ौतरी के कारण शहरी भारत में गरीबी बढ़ी है क्योंकि नौकरी और धन संबंधी क्रियाओं के लिये ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों और नगरों की ओर पलायन कर रहें है। लगभग 8 करोड़ लोगों की आय गरीबी रेखा से नीचे है और 4.5 करोड़ शहरी लोग सीमारेखा पर हैं। झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले अधिकतर लोग अशिक्षित होते हैं। कुछ कदमों के उठाये जाने के बावजूद गरीबी को घटाने के संदर्भ में कोई भी संतोषजनक परिणाम नहीं दिखाई देता है।

गरीबी के कारण

भारत में गरीबी का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या, कमजोर कृषि, भ्रष्टाचार, पुरानी प्रथाएं, अमीर और गरीब के बीच में बड़ी खाई, बेरोज़गारी, अशिक्षा, संक्रामक रोग आदि है। भारत में जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर करता है जो कि गरीब है और गरीबी का कारण है। आमतौर पर खराब कृषि और बेरोज़गारी की वजह से लोगों को भोजन की कमी से जूझना पड़ता है। भारत में बढ़ती जनसंख्या भी गरीबी का कारण है। अधिक जनसंख्या मतलब अधिक भोजन, पैसा और घर की जरुरत। मूल सुविधाओं की कमी में, गरीबी ने तेजी से अपने पाँव पसारे हैं। अत्यधिक अमीर और भयंकर गरीब ने अमीर और गरीब के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है।

गरीबी का प्रभाव

गरीबी लोगों को कई तरह से प्रभावित करती है। गरीबी के कई प्रभाव हैं जैसे अशिक्षा, असुरक्षित आहार और पोषण, बाल श्रम, खराब घर, गुणवत्ताहीन जीवनशैली, बेरोजगारी, खराब साफ-सफाई, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में गरीबी की अधिकता, आदि। पैसों की कमी की वजह से अमीर और गरीब के बीच खाई बढ़ती ही जा रही है। ये अंतर ही किसी देश को अविकसित की श्रेणी की ओर ले जाता है। गरीबी की वजह से ही कोई छोटा बच्चा अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिये स्कूल जाने के बजाय कम मजदूरी पर काम करने को मजबूर है।

गरीबी को जड़ से हटाने का समाधान

इस ग्रह पर मानवता की अच्छाई के लिये त्वरित आधार पर गरीबी की समस्या को सुलझाने के लिये ये बहुत जरुरी है। कुछ समाधान जो गरीबी की समस्या को सुलझाने में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं वो इस प्रकार है:

फायदेमंद बनाने के साथ ही अच्छी खेती के लिये किसानों को उचित और जरुरी सुविधा मिलनी चाहिये।
बालिग लोग जो अशिक्षित हैं को जीवन की बेहतरी के लिये जरुरी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये।
हमेशा बढ़ रही जनसंख्या और इसी तरह से गरीबी को जाँचने के लिये लोगों के द्वारा परिवार नियोजन का अनुसरण करना चाहिये।
गरीबी को मिटाने के लिये पूरी दुनिया से भ्रष्टाचार का खात्मा करना चाहिये।
हरेक बच्चों को स्कूल जाना चाहिये और पूरी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिये।
रोजगार के रास्ते होने चाहिये जहाँ सभी वर्गों के लोग एक साथ कार्य कर सकें।

निष्कर्ष

गरीबी केवल एक इंसान की समस्या नहीं है बल्कि ये राष्ट्रीय समस्या है। इसे त्वरित आधार पर कुछ प्रभावी तरीकों को लागू करके सुलझाना चाहिये। सरकार द्वारा निर्धनता को हटाने के लिये विभिन्न प्रकार के कदम उठाये गये हालांकि कोई भी स्पष्ट परिणाम दिखाई नहीं देता। लोग, अर्थव्यवस्था, समाज और देश के चिरस्थायी और समावेशी वृद्धि के लिये गरीबी का उन्मूलन बहुत जरुरी है। गरीबी को जड़ से उखाड़ने के लिये हरेक व्यक्ति का एक-जुट होना बहुत आवश्यक है।

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