What is Onam in Hindi? Essay on Onam in Hindi
ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल का एक राष्ट्रीय पर्व भी है। ओणम का उत्सव सितम्बर में राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है जो दस दिनों तक चलता है। उत्सव त्रिक्काकरा (कोच्ची के पास) केरल के एक मात्र वामन मंदिर से प्रारंभ होता है। ओणम में प्रत्येक घर के आँगन में फूलों की पंखुड़ियों से सुन्दर सुन्दर रंगोलिया (पूकलम) डाली जाती हैं।
युवतियां उन रंगोलियों के चारों तरफ वृत्त बनाकर उल्लास पूर्वक नृत्य (तिरुवाथिरा कलि) करती हैं। इस पूकलम का प्रारंभिक स्वरुप पहले (अथम के दिन) तो छोटा होता है परन्तु हर रोज इसमें एक और वृत्त फूलों का बढ़ा दिया जाता है। इस तरह बढ़ते बढ़ते दसवें दिन (तिरुवोनम) यह पूकलम वृहत आकार धारण कर लेता है। इस पूकलम के बीच त्रिक्काकरप्पन (वामन अवतार में विष्णु), राजा महाबली तथा उसके अंग रक्षकों की प्रतिष्ठा होती है जो कच्ची मिटटी से बनायीं जाती है। ओणम मैं नोका दौड जैसे खेलों का आयोजन भी होता है। ओणम एक सम्पूर्णता से भरा हुआ त्योहार है जो सभी के घरों को ख़ुशहाली से भर देता है।
ओणम की कहानी Onam Story in Hindi
भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी खूबी इसकी विभिन्नता है। हमारे देश में कई भाषाओं को, भिन्न-भिन्न त्यौहारों को मनाने वाले लोग रहते हैं। ओणम केरल का एक प्रमुख त्यौहार है। मलयालम कैलेण्डर के अनुसार, चिंगम महीने में थिरुवोणम नक्षत्र होने पर यह त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार पर विभिन्न जगहों पर फूलों की मनमोहक रंगोली बनाकर स्वागत किया गया। लोगों का मानना है कि तिरुओणम वह अवसर है जब सम्राट महाबली की आत्मा केरल की यात्रा करती है। इस उपलक्ष्य में जगह-जगह पर सहभोज और उत्सवों आयोजित किये जाते है। केरल में बड़े पैमाने पर इस पर्व को मनाते हैं।
भारत में देखा जाये तो सबसे बड़े त्यौहार होली, दीपावली, ईद, बैसाकी, क्रिसमस आदि है लेकिन उत्तर भारत का ओणम सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार की वजह से संस्कृति को जानने का एक बहुत अच्छा मौका मिलता है। इस मौके पर महिलाओं द्वारा आकर्षक ‘ओणमपुक्कलम’ (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है। और केरल की प्रसिद्ध ‘आडाप्रधावन’ (खीर) का वितरण आदि किया जाता है। ओणम पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा खेल-कूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। इन प्रतियोगिताओं में लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचीपु़ड़ी, ओडि़सी, कथक नृत्य प्रतियोगिताएँ प्रमुख हैं।
ओणम की कथा –Onam Katha in Hindi
ओणम की पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाबली प्रह्लाद के पोते थे और वह भी एक दानव जाति के थे लेकिन दानव जाती के होने के बाद भी वह अपने राज्य में लोगो के द्वारा भगवान की तरह पूजे जाते थे वह एक न्यायप्रिय, पराक्रमी, दानी तथा प्रजा का भला सोचने वाले थे उनकी प्रजा भी उन्हें प्यार करती थी | महाबलि अपने दादा की तरह ही भगवान् विष्णु के परम भक्त थे उसके बावजूद उन्हें अपने ऊपर घमंड होने लगा था और उन्हें स्वर्ग और पृथ्वी पर राज कर रखा था |
पृथ्वी पर महाबली के शासन को खत्म करने के लिए, भगवान विष्णु एक वामन (लघु ब्राह्मण) के रूप में जन्म लिया और राजा से भिक्षा मांगी महाबली रहा दानी स्वभाव के थे इसीलिए उन्होंने वामन से कहा बताओ आपको क्या चाहिए तब उन्होंने महाबली से तीन डग जमीन मांगी, इतना सुन कर महाबली के गुरु समझ गए की यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं है और उन्होंने महाबली को उनकी बात स्वीकार करने के लिए माना किया |
महाबली वचन दे चुके थे इसीलिए उन्हें अपना वचन पूरा करना पड़ा | तभी वामन अपने विशाल रूप में आ गए और उनका एक पैर के नीचे धरती दूसरे में स्वर्ग समा जाता है तब अपने वचन के अनुसार महाबली को पृथ्वी भी देनी पड़ती है और वह वामन के पैर के नीचे आकर मर जाते है | लेकिन विष्णु ने उसे एक वरदान दिया कि वह हर साल एक बार अपनी भूमि का दौरा कर सकता है। ओणम राजा के इस घर आने का जश्न मनाता है।
ओणम को कैसे मनाते हैं Onam Festival in Hindi
यह त्यौहार दस दिनों तक चलता है जिसमें पहला और आखिरी दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस त्यौहार के दौरान एक विशेष नौका दौड़ का भी आयोजन किया जाता है। ओणम के दौरान महिलाएं घर में फूलों की रंगोली बनाती हैं। ओणम त्यौहार का एक और खास आकर्षण इस दिन बनने वाले विशेष व्यंजन भी होते हैं।
10 Sentence about Onam in Hindi
ओणम केरल में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है।
यह त्यौहार राजा बलि की याद में मनाया जाता है।
प्रत्येक वर्ष श्रवण नक्षत्र में इस त्यौहार का आयोजन किया जाता है।
श्रवण नक्षत्र को ही मलयालम भाषा में ओणम कहते हैं।
इस दिन लोग अपने-अपने घरों में रंगोली बनाते हैं।
बच्चों से लेकर बड़े तक सभी नए-नए वस्त्र धारण करते हैं।
हाथी का जुलूस, नौका-दौड़ आदि विभिन्न प्रकार के आयोजन किये जाते हैं।
घरों में स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं।
यह उत्सव कई दिनों तक मनाया जाता है।
माना जाता है की इस दिन राजा बलि अपनी प्रजा को देखने आते हैं।
इस उत्सव का सम्बन्ध विष्णु के वामन अवतार से भी है।
इस दिन सभी लोग भगवान् विष्णु के साथ-साथ राजा बलि की पूजा करते हैं।
इस ब्लॉग के निर्माता हिमांशु सक्सैना हैं जो बुलन्दशहर जिले के निवासी हैं | इन्हें अपनी मातृ भाषा हिन्दी से काफी प्रेम है इसलिये इन्हे हिन्दी में लिखने का शोक भी है | लोगो के दिमाग में आज भी यही बात जुबान पर रहती है कि जो कुछ भी है वो इंग्लिश से है, इस बात को गलत साबित करने के उद्देश्य से ही इन्होने इस ब्लॉग का निर्माण किया है |
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