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ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध इन हिंदी : Global Warming Essay in Hindi

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Global warming is a slow steady rise in Earth’s surface temperature. Temperatures today are 0.74 °C (1.33 °F) higher than 150 years ago.[3] Many scientists say that in the next 100–200 years, temperatures might be up to 6 °C (11 °F) higher than they were before the effects of global warming were discovered.

Of the greenhouse gases, the basic cause seems to be a rise in atmospheric carbon dioxide concentration, as predicted by Svante Arrhenius a hundred years ago. When people use fossil fuels like coal and oil, this adds carbon dioxide to the air. When people cut down many trees (deforestation), this means less carbon dioxide is taken out of the atmosphere by those plants.

As the Earth’s surface temperature becomes hotter the sea level becomes higher. This is partly because water expands when it gets warmer. It is also partly because warm temperatures make glaciers melt. The sea level rise causes coastal areas to flood. Weather patterns, including where and how much rain or snow there is, will change. Deserts will probably increase in size. Colder areas will warm up faster than warm areas. Strong storms may become more likely and farming may not make as much food. These effects will not be the same everywhere. The changes from one area to another are not well known.

People in government and Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) have talked about global warming. They do not agree on what to do about it. Some things that could reduce warming are to burn less fossil fuels, adapt to any temperature changes, or try to change the Earth to reduce warming. The Kyoto Protocol tries to reduce pollution from the burning of fossil fuels. Most governments have agreed to it. Some people in government think nothing should change. Holes in the Ozone layer of our atmosphere can contribute to global warming. Ultraviolet (UV) rays get into our atmosphere, causing it to heat up. Cows flattulance also contributes to it. This releases methane which helps in global warming.

भूमंडलीय ऊष्मीकरण (या ग्‍लोबल वॉर्मिंग) का अर्थ पृथ्वी की निकटस्‍थ-सतह वायु और महासागर के औसत तापमान में 20वीं शताब्‍दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है। पृथ्‍वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2005 तक 100 वर्षों के दौरान 0.74 ± 0.18 °C (1.33 ± 0.32 °F) की वृद्धि हुई है।[1] जलवायु परिवर्तन पर बैठे अंतर-सरकार पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि “२० वीं शताब्दी के मध्य से संसार के औसत तापमान में जो वृद्धि हुई है उसका मुख्य कारण मनुष्य द्वारा निर्मित ग्रीनहाउस गैसें हैं।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, धरती के वातावरण के तापमान में लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ‘ग्लोबल वार्मिंग’ कहा जा रहा है। हमारी धरती सूर्य की किरणों से उष्मा प्राप्त करती है। ये किरणें वायुमंडल से गुजरती हुईं धरती की सतह से टकराती हैं और फिर वहीं से परावर्तित होकर पुन: लौट जाती हैं। धरती का वायुमंडल कई गैसों से मिलकर बना है जिनमें कुछ ग्रीनहाउस गैसें भी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश धरती के ऊपर एक प्रकार से एक प्राकृतिक आवरण बना लेती हैं जो लौटती किरणों के एक हिस्से को रोक लेता है और इस प्रकार धरती के वातावरण को गर्म बनाए रखता है। गौरतलब है कि मनुष्यों, प्राणियों और पौधों के जीवित रहने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेल्शियस तापमान आवश्यक होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्रीनहाउस गैसों में बढ़ोतरी होने पर यह आवरण और भी सघन या मोटा होता जाता है। ऐसे में यह आवरण सूर्य की अधिक किरणों को रोकने लगता है और फिर यहीं से शुरू हो जाते हैं ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव।

आईपीसीसी द्वारा दिये गये जलवायु परिवर्तन के मॉडल इंगित करते हैं कि धरातल का औसत ग्लोबल तापमान 21वीं शताब्दी के दौरान और अधिक बढ़ सकता है। सारे संसार के तापमान में होने वाली इस वृद्धि से समुद्र के स्तर में वृद्धि, चरम मौसम में वृद्धि तथा वर्षा की मात्रा और रचना में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग के अन्य प्रभावों में कृषि उपज में परिवर्तन, व्यापार मार्गों में संशोधन, ग्लेशियर का पीछे हटना, प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा आदि शामिल हैं।कारण
आईपीसीसी की चतुर्थ मूल्यांकन रिर्पोट द्वारा अनुमानित वर्तमान विकिरणशील बाध्यता के घटक.

पृथ्वी की जलवायु बाहरी दबाव के चलते परिवर्तित होती रहती है जिसमें सूर्य के चारों ओर इसके अपनी कक्षा में होने वाले परिवर्तन भी शामिल हैं। कक्षा पर पड्ने वाले दबाव सौर चमक, ज्वालामुखी उदगार, तथा वायुमंडलीसय ग्रीनहाउस गैसों के अभिकेंद्रण को भी परिवर्तित करता है। वैज्ञानिक आम सहमति होने के बाद भी हाल ही में हुई गर्मी में वृद्धि के विस्तृत कारण शोध का विषय होते हैं यह है कि मानवीय गतिविधियों के कारण वातावरण की ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से होने वाली अधिकांश गर्मी को औद्योगिक युग की शुरुआत के बाद से देखा गया। हाल ही के 50 वर्षो को यह श्रेय स्पष्‍ट तौर पर जाता है जिसके लिए आंकडा उपलब्ध हैं। आम सहमति के विचार से अलग कुछ अन्य संकल्पनाओं का सुझाव अधिकांश तापमान वृद्धि की व्याख्‍या करने के लिए दिया जाता है। ऐसी ही एक परिकल्पना का प्रस्ताव है कि गर्मी अलग अलग रूपों में सौर गातिविधि का परिणाम हो सकती है।

बाध्‍यता का कोई भी प्रभाव तात्कालिक नहीं है। धरती के महासागरों का ताप जड़त्व और कई अप्रत्यक्ष प्रभावों की धीमी प्रतिक्रिया का मतलब है धरती का वर्तमान तापमान उसपर डाले गए दबाव के साथ संतुलन में नहीं है जलवायु वचनबद्धता के अध्‍ययनों से प्रदर्शित्‍ होता है कि यदि ग्रीनहाउस गैसों को 2000 स्‍तर पर स्थिर कर दिया जाए तो इससे आगे भी कुछ सीमा तक। गर्मी दिखाई देगी|

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