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Air Pollution in Hindi Essay : वायु प्रदूषण पर निबंध & रोकथाम

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What is Air pollution in Hindi? Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जिसके कारण रोज-ब-रोज मानव स्वास्थ्य खराब होता चला जा रहा है और पर्यावरण के ऊपर भी इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह प्रदूषण ओजोन की परत को पतला करने में मुख्य भूमिका निभा रहा है, जिसकी वजह से जैसे ही आप घर के बाहर कदम रखेंगे आप महसूस करेंगे कि हवा किस कदर प्रदूषित हो चुकी है। धुएँ के बादलों को बसों, स्कूटरों, कारों, कारखानों की चिमनियों से निकलता हुआ देख सकते हैं। थर्मल पावर प्लान्ट्स से निकलने वाली फ्लाई ऐश (हवा में बिखरे राख के कण) किस कदर हवा को प्रदूषित कर रहा है, कारों की गति रोड पर किस कदर प्रदूषण को बढ़ा रही है। सिगरेट का धुआँ भी हवा को प्रदूषित करने में पीछे नहीं है।

वायु प्रदूषण की परिभाषा- वायु प्रदूषण क्या है?

वायु प्रदूषण रसायनों, सूक्ष्म पदार्थ, या जैविक पदार्थ के वातावरण में, मानव की भूमिका है, जो मानव को या अन्य जीव जंतुओं को या पर्यावरण को नुकसान पहुँचाता है।

वायु प्रदूषण के कारण मौतें और श्वास रोग. वायु प्रदूषण की पहचान ज्यादातर प्रमुख स्थायी स्रोतों से की जाती है, पर उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत मोबाइल, ऑटोमोबाइल्स है।कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें, जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए सहायक है, को हाल ही में प्राप्त मान्यता के रूप में मौसम वैज्ञानिक प्रदूषक के रूप में जानते हैं, जबकि वे जानते हैं, कि कार्बन -डाइऑक्साइड प्रकाश संश्लेषण के द्वारा पेड़-पौधों को जीवन प्रदान करता है।

यह वातावरण एक जटिल, गतिशील प्राकृतिक वायु तंत्र है जो पृथ्वी गृह पर जीवन के लिए आवश्यक है। वायु प्रदूषण के कारण समतापमंडल से हुए ओज़ोन रिक्तीकरण को बहुत पहले से मानव स्वास्थ्य के साथ के पारस्थितिकी तंत्र के लिए खतरे के रूप में पहचाना गया है।

वायु प्रदूषण के प्रकार Types of Air Pollution in Hindi

  • फोटोकेमिकल धूम कोहरा (smog) में रहने वाले वायुजनिक प्राथमिक प्रदूषकों और यौगिकों से जैसे नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से बना सूक्ष्म वातावरण
  • जमीनी स्तर पर ओज़ोन (Ground level ozone) NOx और VOCs से बनती है।
  • इसी प्रकार पेरोक्साइस्टायल नाइट्रेट (Peroxyacetyl nitrate)(PAN) NOx तथा VOCs से बनता है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव, कारण/निवारण- वायु प्रदूषण रोकने के उपाय

वायु प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोतों में प्राकृतिक व मानवीय स्त्रोत मुख्य रूप से शामिल हैं। प्राकृतिक स्त्रोत के तहत आंधी-तूफान के समय उड़ती धूल, ज्वालामुखियों से निकली हुई राख, कोहरा, वनों में लगी हुई आग से उत्पन्न् धुआं, वनों में पौधों से उत्पन्न् हाइड्रोजन के यौगिक एवं परागकण तथा दल-दल व अनूपों में अपघटित होते पदार्थों से निकली मीथेन गैस वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।

वहीं दूसरी ओर मानव स्त्रोत के तहत औद्योगिकीकरण, दहन प्रक्रिया (जैसे घरेलु कार्यों में दहन, वाहनों में दहन व ताप विद्युत ऊर्जा के लिए दहन), औद्योगिक निर्माण, आणविक ऊर्जा, कृषि कार्यों में कीटनाशकों का उपयोग व विलायकों के उपयोग, धूम्रपान आदि शामिल हैं। औद्योगिकीकरण के कारण वायुमंडल में कार्बन-डाय-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर-डाय-आक्साइड, हाइड्रो कार्बन, सीसा, क्लोरीन, अमोनिया, मैडमियम, बेंजीपाइस, धूलकण, रेडियो एक्टिव पदार्थ, आर्सेनिक, बेरिलियम आदि वायु को प्रदूषित करते हैं।

घरेलु कार्यों में दहन के तहत खाना पकाने व पानी गर्म करने में कोयला, लकड़ी, गोबल के कंडे, उपलों, मिट्टी का तेल आदि से जो ऊष्मा उपयोग की जाती है उससे  कार्बन-डाय-आक्साइड, कार्बन-मोनो-आक्साइड, सल्फर-डाय-आक्साइड आदि जैसी गैसें निकलती हैं। वहीं वाहनों में दहन प्रक्रिया के तहत मोटरकार, मोटर साइकिल, स्कूटर, ट्रक, बस, डीजल रेल इंजिन आदि जैसे साधनों में पेट्रोल व डीजल का उपयोग किया जाता है जो वायुमंडल में हाइड्रोकार्बन व नाइट्रोजन छोड़ते हैं।

वायु प्रदूषण केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि वनस्पतियों, जीव-जंतुओं, जलवायु, मौसम, ऐतिहासिक इमारतों और यहां तक की ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचाता है। वायु प्रदूषण के कारण मनुष्यों को दमा, गले का दर्द, निमोनिया, एम्फायसीमा, ब्रोंकाइटिस, सिरदर्द, उल्टी, फेफड़े का कैंसर, हृदय रोग, जुकाम, खांसी व आंखों में जलन आदि जैसी समस्या पैदा हो जाती है।

इसी तरह वायु प्रदूषण के कारण सूर्य के प्रकाश की मात्रा में कमी आती है जिससे पौधों की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है। वहीं वायु प्रदूषण के कारण जीव-जंतुओं का श्वसन तंत्र और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण के कारण ही जलवायु भी प्रभावित हो रही है।

पिछले कुछ सालों में जिस तरह जलवायु परिवर्तन हुआ है उससे बाढ़ और सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। यही नहीं मौसम पर भी वायु प्रदूषण का विपरीत प्रभाव पड़ा है। वायु प्रदूषण के कारण ही पृथ्वी को सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से बचाने वाली ओजोन परत में छिद्र हो गया है। ऐतिहासिक इमारतें बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

How to Stop Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने बकायदा वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 लागू किया हुआ है। इस अधिनियम का उद्देश्य वायु प्रदूषण का निवारण, नियंत्रण व उपशमन करना, अंतर्राष्ट्रीय बाध्यता को पूरा करना, औद्योगिक नगरों के बढ़ते हुए वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना, मानव तथा जीव जगत की प्रदूषित वायु से रक्षा करना, वायु की गुणवत्ता को बनाए रखना तथा जल (प्रदूषण निवारण नियंत्रण तथा उपशमन) अधिनियम 1974 के अधीन गठित केंद्रीय बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) का दायित्व सौंपना शामिल है। वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981  दिनांक 167 मई 1981 से लागू है।

वायु प्रदूषण पर निबंध

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

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